लघुकथा - रिकॉर्ड
पिछले दिनों दुनिया में रिकॉर्ड बनाने की होड़ लग गयी। देशज और अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने के जुनून ने इन आँखों को कैसे कैसे मंज़र दिखाए। कोरोना के वक़्त में लावारिस लाशों के दाह संस्कार का बना अद्भुत रिकॉर्ड। लेकिन रिकॉर्ड तो रिकॉर्ड होते हैं , इतनी आसानी से नहीं बनते। असल में हुआ यूँ कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में नामांकन की अंतिम तिथि आ गयी लेकिन रिकॉर्ड बनाने के लिए अभी एक लावारिस लाश और चाहिए थी लेकिन कही से भी किसी के भी मरने की ख़बर नहीं मिल रही थी। संस्था के निदेशक महोदय गंभीर मुद्रा में बैठे चिंतन कर रहे थे। अब क्या होगा ? अगर कल तक वर्ल्ड रिकॉर्ड का फॉर्म नहीं भरा तो एक साल की लिए बात टल जाएगी और क्या पता अगले साल इतनी मौत हो या नहीं। तभी द्वारे आवाज़ लगाते , मैले कुचले फटे कपडे पहने एक बूढा लाचार भिखारी को देखते ही निदेशक की आँखें चमक उठी और उनका गुर्गा उनका इशारा समझ अपनी तलवार की धार तेज़ करने में लग गया । संस्था का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में सम्मिलित हो गया था लेकिन उस दिन के बाद वो बूढा लाचार भिखारी मोहल्ले में दिखाई नहीं दिया।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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