लघुकथा - कवि - सम्मलेन
साहित्यिक संस्था ने स्वाधीनता दिवस के उपलक्ष पर कवि - सम्मलेन का आयोजन किया। कवि - सम्मेलन में कवियों को आमंत्रित करने की सूची तैयार की जाने लगी। संस्था के महासचिव ने कवियों की सूची तैयार कर अध्यक्ष की मेज़ पर रख दी। सूची पर नज़र पड़ते ही अध्यक्ष महोदय ने कहा - ये " फ़िराक सुल्तानपुरी " कौन है ?
-" जी , बहुत बढ़िया शाइर है और हिंदू ही है। " महासचिव ने अध्यक्ष का आशय समझते हुए कहा।
- " होंगे हिंदू , लेकिन नाम तो मुस्लिम ही है , हटाओ इनका नाम। इनकी जगह माधुरी मिश्रा को आमंत्रित करो। "
- " लेकिन माधुरी मिश्रा की ग़ज़लें तो बहर में भी नहीं होती। " - महासचिव ने हिचकते हुए कहा
- " अरे , बहर में नहीं लिखती तो क्या हुआ , गाती तो अच्छा है और है भी छम्मक - छल्लो। उसी को बुलाओ " - अध्यक्ष ने निर्णायक स्वर में कहा।
- " जी जनाब " - कह कर महासचिव ने आंमंत्रित कवियों की सूची में ' फ़िराक़ सुल्तानपुरी ' का नाम काट कर माधुरी मिश्रा का नाम लिख दिया।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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