Thursday, August 31, 2023

गीत - सावन की रतियों में , मत जा रे बलम छोड़ के

 सावन की रतियों में , मत जा रे बलम छोड़ के 


तोरण से मैं द्वार सजाऊँ 

चन्दन बंदन हार बनाऊँ

बिरहन सी सूनी आँखों में

तारों के मैं दीप जलाऊँ


सावन की रतियों में , मत जा रे नयन मोड़ के 


तोड़ के सारे बंधन आ जा 

प्रेम को भी चन्दन कर जा 

सूने प्राणों में रंग भर कर 

मुझको फाल्गुन कर जा  


सावन की रतियों में , मत जा रे कसम तोड़ के 


बैरन रतिया मोह तड़पाए 

आहट पे हर दिल घबराए

साथ हमारा जन्मों का यूँ 

कान्हा के सँग राधा गाए 


सावन की रतियों में , मत जा रे भरम तोड़ के 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

 

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