Friday, August 18, 2023

प्रेम - प्रसंग/ 2 - अहसास

 अहसास 


जब से दूर गई है 

चाँदनी तेरे प्यार  की 

तन्हाई का अहसास 

पल पल डसने लगा है मुझे  

इस कदर डूब गया हूँ 

तन्हाई के अहसास में 

कि ख़ुद अपनी ही 

हालत से बेख़बर  हूँ मैं   

कभी क़तरा तेरे प्यार  का 

कभी समुन्दर हूँ मैं 

शीशा शीशा मेरा अहसास 

पत्थरों के शहर में 

मेरे भीतर का अहसास 

पत्थर न हो जाये कही 

मंज़िल हमारी मुहब्बत की

एक सफ़र न हो जाये कही 

हमारे प्यार का अहसास 

मर न जाये कही , कोई 

मौत से पहले  

गुज़र न जाये कही,

तारों भरी रात कहाँ 

वो तेरे - मेरे प्यार के 

गुज़रे  हुए  लम्हात कहाँ

सूनी हो  गयी ये दुनिया 

बिन तुम्हारे , बस 

इक अहसास है अहसास के लिए 

इक साज़ है आवाज़ के लिए।  

   







No comments:

Post a Comment