Friday, September 2, 2022

कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर का तराना , हुआ एक साल पुराना

 


                                            कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर - 03-9-2021


पिछले दिनों  बैंगलोर की  साहित्यिक " शब्द " संस्था के बारे में भूपेंद्र कुमार द्वारा  लिखे गए एक संस्मरण  में  सरोजा व्यास  का एक जुमला पढ़ा " लोग आते हैं जाते हैं लेकिन संथाएँ चलती रहती हैं "।  

हर संस्था का एक  इतिहास होता हैं।  कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर का इतिहास भी अत्यंत रोचक और प्रेरणापूर्ण है।  बेगूसराय से बैंगलोर पधारे श्री राजेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ़ राही राज , बैंगलोर में एक कवि के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने में व्यस्त थे।  उन्होंने " कारवाँ " नाम से एक संस्था खोली जिसमे मुझे भी शामिल किया और उसका पहला कार्यक्रम प्रसिद्ध शाइर जनाब गुफ़रान अमजद कीअध्यक्षता में मेरे बैंगलोर के निवास स्थान पर आयोजित हुआ जिसमे राही राज ने अत्यंत भावपूर्ण विचार रखें।  उनकी साहित्यिक भावना ने सभी को अभिभूत कर दिया। 

" कारवाँ " का दूसरा कार्यक्रम कभी नहीं हुआ और इसी बीच राही राज ने गरिमा पाठक के साथ मिल कर एक नई संस्था " राही के कारवाँ "( जिसका नाम अब " राही का कारवाँ '" है ) शुरू कर दी और यह संस्था अब भी ज़ारी है। 

राही राज के कारवाँ में लोग  जुड़ते गए और उन्हें लगा कि संस्था को रजिस्टर कराना चाहिए।  3 सितम्बर ' 2021 को " कलश कारवाँ फाउंडेशन " , बैंगलोर का रजिस्ट्रेशन बैंगलोर में एक ट्रस्ट के रूप में हो गया जिसके सेटलर - राही राज हैं और इसके फाउंडर ट्रस्टीज हैं-ईश्वर करुण , संतोष संप्रीति , गरिमा पाठक , प्रीति राही   और इन्दुकांत आंगिरसभोपाल की अलका राज़ अग्रवाल को भी फाउंडर ट्रस्टी बनना था लेकिन क्योंकि उस दिन वो  बैंगलोर में उपस्थित नहीं थी तो ऐसा नहीं हो सका। बाद में सर्वसम्मिति से उन्हें ट्रस्टी बनाने का निर्णय लिया गया।   


कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर के रजिस्ट्रेशन की घोषणा 5 सितम्बर ' 2021 को एक भव्य कार्यक्रम में की गई जिसमे बैंगलोर और दूसरे शहरों के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने शिरकत फ़रमाई जिनमे सर्वश्री गरिमा  पाठक, डॉ उषा रानी राव , डॉ सुभाष वसिष्ठ , डॉ आदित्य शुक्ल , डॉ प्रेम तन्मय , संतोष संप्रीति , अलका राज़ अग्रवाल , प्रीति राही , ईश्वर करुण , ज्ञानचंद मर्मज्ञ , पुष्पलता ,सुनीता सैनी ,कमल राजपूत कमल, राही राज और इन्दुकांत आंगिरस के नाम उल्लेखनीय हैं। 


हनोज़ सेलुलर जेल दूरे


दुर्भाग्य से कुछ महीनो के उपरान्त कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर की संस्थापक ट्रस्टी गरिमा पाठक का 07-02-2022 को निधन हो गय। उनका सपना था कि कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर अपना  एक कार्यक्रम सेलुलर जेल , अंडमान निकोबार के सामने आयोजित करें और हमारी आज़ादी के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी जाये। पिछले एक साल में संस्था ने कई साहित्यिक कार्यक्रम  आयोजित किये , दिल्ली तक अपना परचम फहराया लेकिन सेलुलर जेल , अंडमान निकोबार के सामने अभी तक कुछ कार्यक्रम आयोजित नहीं कर पाई है।  आशा है शायद इस वर्ष यह संभव हो सके , तब तक तो यह कहा जा सकता है कि -

  हनोज़ सेलुलर जेल दूरे। 


दिल्ली की एक पुरानी  उर्दू साहित्यिक संस्था " हल्क़ा ए  तिश्नगाने अदब "  के सेक्रेटरी और मारूफ़ शाइर जनाब सीमाब सुल्तानपुरी का एक जुमला याद आ गया - "जो संस्था रजिस्टर हो जाती हैं वो रजिस्टर में ही रह जाती हैं । "  यह ख़ुशी की बात है कि कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर नियमित रूप से साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है  हालांकि अधिकांश कार्यक्रम पुस्तक विमोचन ,काव्य गोष्ठियों और सम्मान समारोह तक ही सीमित रहे हैं। आशा है कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर रजिस्टर तक सीमित नहीं रहेगी और व्यक्तिगत प्रचार -प्रसार से ऊपर उठ कर साहित्य और  समाज के लिए कुछ ठोस कार्य करेगी। 


अभी तो " कलश कारवाँ फाउंडेशन , बैंगलोर " का जन्म ही हुआ है और तकनीकी कारणों से बैंक खाता न खुलने के कारण घर की गुल्लक पर ही निर्भर  है।  


बक़ौल अमीर मीनाई -


सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता 

निकलता आ रहा है  आफ़्ताब आहिस्ता  आहिस्ता 



प्रस्तुति -  इन्दुकांत आंगिरस 


3 comments:

  1. बेंगलुरु की एक नई संस्था से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद। यों भी, "परिचय" से तो आपका पुराना संबंध है। आपके अतिरिक्त इस संस्था के दो अन्य संस्थापक सदस्यों से मैं पूर्व परिचित हूं। ईश्वर करुण मेरे अभिन्न मित्र हैं। मर्मज्ञ जी से भी शब्द के माध्यम से परिचय है। इस संस्था के उज्ज्वल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं। गरिमा जी के असमय ही दुनिया छोड़ जाने की बात ने मन को विचलित कर दिया। सभी की दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।🙏

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  2. धन्यवाद भूपेंद्र जी!आपकी भावना के लिए आभारी हूँ!

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  3. प्रिय इन्दुकांत आंगिरस जी, आपने संस्था की सही तस्वीर दिखाई है। संस्था को रजिस्टर में रहना तो अलग यह तो पाॅकेट में चलाई जा रही है। समूह की भावना पर वैयक्तिक महत्वाकांक्षा के कारण कुठाराघात किया जा रहा है!
    संस्था नियम कानून से चलती है, इसे भी नियम कानून के अनुसार ही चलाया जाए!इसके लिए आपको हमको और अन्य ट्रस्टियों को भी सोचना होगा!

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