जन्मभूमि का गीत
मोदरांस्क के प्रसिद्ध बर्तनों पर
नक़्क़ाशे ख़ूबसूरत फूलों के मानिंद
तुम्हारी अपनी माटी , अपना देश है यह !
मीठी ब्रेड के सीने में ,भीतर तक घुपा चाकू
सैकड़ों बार निराशाओं में घिर कर
भटके मुसाफ़िर की तरह लौटते अपने घर
हसीं वादियों वाला अपना दुलारा देश
मुरझाये फूलों वाला वसंत - सा बेचारा देश।
मोदरांस्क के प्रसिद्ध बर्तनों पर
नक़्क़ाशे ख़ूबसूरत फूलों के मानिंद
तुम्हारी अपनी माटी , अपना देश है यह !
अपने ही अपराध बोझ से बोझिल
तुम्हें भुला न पायेगी ये माटी
अंतिम सफ़र में साथ तुम्हारे
कहेगी अलविदा ये माटी।
मोदरांस्क के प्रसिद्ध बर्तनों पर
नक़्क़ाशे ख़ूबसूरत फूलों के मानिंद
तुम्हारी अपनी माटी , अपना देश है यह !
मूल कवि - Jaroslav Seifert ( 1984 , Noble Prize in Literature )
जन्म : 23 September 1901, Žižkov, Prague, Czechia
लाज़वाब
ReplyDeleteशुक्रिया , www.adbiyatra.org से जुड़ें
ReplyDeleteएक अच्छी कविता का अच्छा अनुवाद।
ReplyDeleteशुक्रिया भूपेंद्र जी
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