मुंशी प्रेमचंद हिन्दी साहित्य में ' उपन्यास सम्राट ' के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने 350 से अधिक कहानियाँ लिखी और अनेक उपन्यासों की रचना करी। उनका अधिकांश साहित्य न सिर्फ़ भारतीय अपितु विश्व की अनेक भाषाओं में अनूदित हो चुका हैं। यह तो सर्वविदित है कि उन्होंने सरस्वती प्रेस की स्थापना करी और उसे अपने ख़ून - पसीने से सींचा। अधिकांश महान साहित्यकारों ने बाल साहित्य की भी रचना करी हैं। आज प्रेमचंद द्वारा रचित दुर्लभ पुस्तक ' राम - चर्चा ' का परिचय प्रस्तुत है। बच्चों के लिए रचित ' राम - चर्चा ' पुस्तक की भाषा अत्यंत सरल और सहज है और इसका फॉण्ट साइज भी बड़ा है जिससे बच्चें इसे सुलभता से पढ़ सकें। इस पुस्तक की रचना के माध्यम से प्रेमचंद ने रामायण का परिचय बच्चों से कराया है जिससे बच्चें भारतीय संस्कृति से परिचित हो सकें और उन संस्कारों को अपने जीवन में ढाल सकें। पुस्तक सात खण्डों में विभाजित हैं - बाल - काण्ड , अयोध्या - काण्ड , वन - काण्ड , किष्किंधा - काण्ड , सुन्दर - काण्ड , लंका - काण्ड और उत्तर - काण्ड ।
21 वी सदी में जबकि संसार बहुत सिकुड़ चुका है और भारत पाश्चात्य संस्कृति की धारा में बहता जा रहा है , यह पुस्तक आज भी भारतीय बच्चों को भारतीय संस्कृति से अवगत कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं। यक़ीनन अगर अभिभावक यह चाहते हो कि उनके बच्चें भी भारतीय संस्कृति से परिचित हो तो इस पुस्तक को अपने बच्चों के लिए उपलब्ध कराएँ। आज प्रिंटिंग की दुनिया में एक से बढ़ कर एक नवीनतम मशीनें उपलब्ध हैं लेकिन प्रेमचंद जैसे लेखक अब नहीं। उनके पुत्र श्रीपत राय ने इस पुस्तक का प्रथम संस्करण , प्रेमचंद के निधन के दो वर्ष बाद 1938 में प्रकाशित किया। साहित्य के प्रति प्रेमचंद को अमूल्य बलिदान एवं त्याग का ऋण, हिन्दी साहित्य कभी नहीं उतार पायेगा। हो सकता है आज इस पुस्तक का कोई ओफ़्सेट प्रिंटिंग का संस्करण उपलब्ध हो लेकिन इस संस्करण को पढ़ते हुए पाठक प्रेमचंद की आत्मा को महसूस कर सकता है , इसीलिए ' राम - चर्चा ' पुस्तक का यह संस्करण अत्यंत दुर्लभ है। अफ़सोस कि ऐसी पुस्तक बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करी जाती। भाषा की सरलता एवं सहजता की बानगी के तौर पुस्तक का प्रथम पृष्ठ देखें -
पुस्तक का नाम - राम - चर्चा
( श्री रामचंद्र जी की अमर कहानी )
लेखक - प्रेमचंद
भाषा - हिन्दी
Copyright - सरस्वती प्रेस , बनारस , 1938
प्रकाशक / मुद्रक - श्रीपत राय , सरस्वती प्रेस , बनारस कैंट
प्रकाशन वर्ष - नया सस्ता संस्करण ,1941
पृष्ठ - 198
मूल्य - 1/ INR ( एक रुपया केवल )
Binding - पेपरबैक
Size - 6" x 8"
ISBN - Not Mentioned
लेखक - धनपतराय श्रीवास्तव
उपनाम - प्रेमचंद
जन्म - 31st July , 1880 , Village Lamhai , Varanasi
निधन - 8 October ,1936 . Varanasi
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
NOTE :प्रेमचंद और उनके साहित्य के बारे में आधी जानकारी के लिए उनका विकी पेज देखें।
वाक़ेई दुर्लभ पुस्तक है। इसका एक पृष्ठ पढ़ कर ही इसकी पठनीयता का आभास हो रहा है।
ReplyDeleteबहुत सटीक जानकारी
ReplyDeleteप्रेम चंद को नमन
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