पिछले दिनों एक पुराना काग़ज़ मिल गया जिसमे चंद बीमारियों के घरेलू नुस्ख़ें शाइरी में कहे गए हैं। शाइर का नाम नहीं मालूम लेकिन कोरोना की इस तीसरी लहर के आगमन पर मन हुआ आप सभी से ये साझा कर लूँ। आयुर्वेद में बहुत से घरेलू नुस्खे मिल जाते हैं और चंद लोग उनका इस्तेमाल भी करते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं कि इन नुस्ख़ों से सभी को लाभ मिल जाए। आपका मन हो तो इनको आज़माये अन्यथा बस शाइरी का लुत्फ़ उठायें। लीजिये प्रस्तुत हैं शाइरी में नुस्ख़ें -
जहाँ तक काम चलता हो ग़िज़ा से
वहाँ तक चाहिए बचना दवा से
अगर ख़ून कम बने बलगम ज़ियादा
तो खाये गाजर ,चने , शलगम ज़ियादा
जिगर के बल पर है इंसान जीता
अगर ज़हफ़ जिगर है तो खा पपीता
जिगर में हो अगर गर्मी का अहसास
मुरब्बबा आंवला खा या अन्नानास
अगर हो जाता ही माएदा में गरानी
तो पी लें सौंफ़ या अदरक का पानी
थकन से हो अगर अलजात ढीलें
तो फ़ौरन दूध गरमा - गरम पी लें
जो दुखता हो गला नज़ले के मारे
तो कर नमकीन पानी के गरारे
अगर हो दर्द से दाँतों के बैकुल
तो ऊँगली से मसूढ़ों पर नमक मल
जो ताकत में कमी होती हो महसूस
तो मिश्री की डली मुल्तान की चूस
शिफ़ा चाहिए अगर खाँसी से जल्दी
तो पी ले दूध में थोड़ी सी हल्दी
अगर कानो में तकलीफ़ होए
तो सरसो का तेल फाये से निचोड़
अगर आँखों में पड़ जाते हो जाले
तो दक्खनी मिर्च घी के साथ खा ले
दमा में ये ग़िज़ा बेशक हैं अच्छी
खटाई छोड़ , खा दरिया की मछली
अगर तुझको लगे जाड़े में सर्दी
तो इस्तेमाल कर अंडे की जर्दी
जो बदहजमी में तू चाहे अफ़ाफ़ा
तो दो -एक वक़्त कर तू फ़ाका
बड़े मज़ेदार नुस्खे हैं। पिछले साल यह संदेश वाट्सएप पर भी खूब चला था।
ReplyDeleteशुक्रिया. शानदार / जानदार शायरी में सराबोर काम के नुस्खें।
ReplyDeleteं