पिछले दिनों कुमार विशवास का प्रथम कविता संग्रह हाथ लगा तो एक ही बैठक में पढ़ डाला। संग्रह के गीत पढ़ कर आश्चर्य हुआ कि जिस कवि के पास इतने मीठे और प्रेम भरे गीत थे वह मंचो पर बरसो तक राजनैतिक टिप्पणियाँ कर श्रोताओं को क्यों हँसाता रहा। शायद मंच की कुछ मांग रही होगी। कारण कुछ भी रहा हो लेकिन इसमें दोराह नहीं कि कुमार विशवास एक सफल गीतकार है।
‘इक पगली लड़की के बिन ‘ , चर्चित व लोकप्रिय कवि कुमार विशवास का प्रथम कविता संग्रह है जोकि उनके द्वारा कुछ यूँ समर्पित किया गया है -
' माँ को - जो मुझे समझ नहीं सकीं !
पिता को - जिन्होंने मुझे समझना नहीं चाहा !
उसे - जो मुझे समझ कर भी नासमझ बनी रही !'
इस संकलन में ३५ कवितायेँ हैं जिनमें अधिकांश गीत हैं। संग्रह का प्रथम गीत ' ओ मेरे पहले प्यार ! ' और अंतिम कविता ' किन्तु ...प्रीतो तक नहीं पहुँची बात ' है।
अधिकांश गीत प्रेम गीत है। कवि प्रेम के सागर में डूब कर प्रेम के विभिन्न रंगों को अपने गीतों में पिरोता है और प्रेम के साथ साथ वियोग हाला भी छलकाता रहता है।
इसी संग्रह कि ये पंक्तियाँ देखें -
हर विवश आँख के आँसू को यूँ ही हँस - हँस पीना होगा
मैं कवि हूँ , जब तक पीड़ा है, तब तक मुझको जीना होगा
पुस्तक का नाम - इक पगली लड़की के बिन ( कविता संग्रह )
लेखक - कुमार विशवास
प्रकाशक - प्रारम्भ प्रकाशन , ग़ाज़ियाबाद
प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 1996
कॉपीराइट - कुमार विशवास
पृष्ठ - 72
मूल्य -100/ INR (एक सौ रुपए केवल )
Binding - Hardbound
Size - डिमाई 4.8 " x 7.5 "
ISBN - Not Mentioned
आवरण सज्जा - विवेक श्रीवास्तव
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
प्रभावी समीक्षा। कुछ उद्धरण और होते तो रस बढ़ जाता। 🙏👋
ReplyDeleteBahut sunder samiksha....kuchch geet aur quote karne chahiye the
ReplyDeleteखूबसूरत शायर
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