' एक प्रहार : लगातार ' पुस्तक में ग़ज़लनुमाँ कवितायेँ हैं जिन्हें कवि बेज़ार ने 'तेवरी संग्रह ' का नाम दिया है। पुस्तक, कवि के माता - पिता की स्मृति में , अमर क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह को सादर सप्रेम समर्पित की गई है। सम्पादकीय श्री रमेश राज ने लिखा है। कवि के शब्दों में -
' एक प्रहार : लगातार ' देश के टुकड़े -टुकड़े होती संस्कृति , नैतिकता और सभ्यता को धर्म की आड़ में बेचने वाले संतों , धन और ताकत के बल पर क़ानून व्यवस्था को तहस -नहस करने वाले आतंकवादियों , लूट , अपहरण ,बलात्कार में लिप्त समाज सेवियों के विरुद्ध एक ऐसी प्रहारात्मक कार्यवाई है , जिससे देश को खंडित होने से बचने के साथ - साथ एक ऐसे व्यवस्था को जन्म देना है , जिसमे अत्याचार शोषण विहीन समाज की स्थापना की जा सके।
प्रस्तुत हैं इसी संग्रह से उद्धृत, कवि की पीड़ा और उसकी विचारधारा को सम्प्रेषित करती चंद पंक्तियाँ देखें -
शान अब खोने लगी है देश की
आँख नम होने लगी है देश की
बात अब ईमान की मत कीजिए
रूह तक सोने लगी है देश की
ज़िंदगी पर आज हावी तंत्र है
आदमी अब बन गया एक यंत्र है
जो मसीहा मंच पर बन कर खड़ा
रच रहा नैपथ्य में षड्यंत्र है
रौशनी की बात की जिस आँख ने
आपने उस आँख में तकुवे किए
पुरस्कार हित बिकी क़लम , अब क्या होगा ?
भाटों की हैं जेब गरम , अब क्या होगा ?
प्रश्न रोटी का सभी के वक्ष में
आजकल चुभता हुआ - सा तीर है
अब क़लम तलवार होने दीजिए
दर्द को अंगार होने दीजिए
अगर आपको यह पुस्तक कही से मिल जाये तो ज़रूर पढ़ें और अपनी क़लम को तलवार बनाने से न हिचके.......
पुस्तक का नाम -'एक प्रहार : लगातार ( तेवरी संग्रह )
लेखक - बेज़ार
सम्पादक - रमेशराज
प्रकाशक - सार्थक सृजन प्रकाशन , अलीगढ़
कॉपीराइट - बेज़ार ( Not mentioned in book )
पृष्ठ - 64
मूल्य - 5/ INR ( पाँच रुपए केवल )
Binding - Hardbound
Size - डिमाई 4" x 6 "
ISBN - Not Mentioned
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प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
NOTE : बेज़ार साहिब से मेरी चंद मुलाक़ाते हुई हैं और मेरी याद में उनका नाम दर्शन बेज़ार है। अफ़सोस कि मेरे पास अभी उनकी कोई तस्वीर उपलब्ध नहीं है। ' एक प्रहार : लगातार ' की इस दुर्लभ प्रति पर कवि के हस्ताक्षर अंकित है।
पठनीय संग्रह प्रतीत होता है।
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