Tuesday, October 5, 2021

पुस्तक परिचय - 'ख़्वाहिशों का मेन्यू कार्ड'

 







स्त्री विमर्श की अनूठी कविताएँ



रूबी मोहन्ती की ये कविताएँ नारी के कवि मन में उभर रहीं भिन्न-भिन्न तस्वीरों का एक अनूठा कोलाज़ कही जा सकती हैं। इन कविताओं के अंदाज़े-बयां, तेवर और इनकी मौलिकता में आया आधुनिक बोध, अछूता बिंब-विधान और भाषा का नयापन प्रभावित करता है। इस मायने में ये कविताएँ नए स्त्री विमर्श को भी जन्म देती हैं - 

मैं... तुम्हारी बाँहों में 

 सिमटी हो कर भी 

अपने आपको 

घर के हर कोने में 

भटकता पाती हूँ 


रूबी मोहन्ती की प्रेम कविताओं में भाषा और भावों का सौंदर्यबोध असाधारण है। प्रेम के अंतरंग क्षणों में भी भाषा की साध, भावों की ठहर और अभिव्यक्ति की शालीनता रेखांकित करने योग्य है - 


और देह की वो गंध हर बार... 

 कराती है अहसास... 

तन की संकरी सीढ़ियों से 

 उतरकर मन के 

उस पार जाने का


लगता ही नहीं कि 'ख़्वाहिशों का मेन्यू कार्ड' , रूबी मोहन्ती की पहली किताब है। क्या भाषा, क्या शिल्प, क्या कहन, क्या प्रभाव, हर दृष्टि से श्रेष्ठ कविताओं से सजा यह कविता-संग्रह निसंदेह पठनीय है। कुछ मायनों में ये कविताएँ जिजीविषा की, संघर्षशीलता की और आस्था की कविताएँ हैं। 

समकालीन कविता साहित्य में इस कविता-संग्रह को निसंदेह महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा क्योंकि रूबी मोहन्ती हमारे समय को आश्वस्त करती एक बेहतरीन कवयित्री के रूप में सामने आई हैं। 


पुस्तक का नाम - ख़्वाहिशों का मेन्यू कार्ड   ( कविता संग्रह )

लेखक -  रूबी मोहन्ती

प्रकाशक - प्रलेक प्रकाशन , मुम्बई 

प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2021

कॉपीराइट - रूबी मोहन्ती

पृष्ठ - 124

मूल्य -225/ INR  ( दो  सौ पच्चीस  रुपए केवल )

Binding - पेपरबैक 

Size - डिमाई 4.8 " x 7.5 "

ISBN - 978 -93-90916-48-1

मुखपृष्ठ  -JVP Publication Pvt. ltd


                                                           प्रस्तुति - नरेश शांडिल्य


1 comment:

  1. अच्छा कविता संग्रह प्रतीत होता है।

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