Saturday, October 23, 2021

पुस्तक परिचय - परिवर्तन की पुकार








ऐसा अक्सर कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और एक हद तक यह सच भी है।  आज जिस पुस्तक से आपको परिचित कराने जा रहा हूँ  उसका नाम है - परिवर्तन की पुकार और इसके लेखक है डॉ रणजीत।  इस पुस्तक में उनकी चालीस युगांतकरामी कविताएँ हैं और इन कविताओं में प्रगतिशील विचारधारा साफ़ उजागर होती हैं। विद्रोही  स्वर की  ये  कविताएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी की उस समय थी बल्कि यूँ समझिए कि आज के परिवेश में ये कविताएँ पहले से भी अधिक प्रासंगिक बन पड़ी हैं। 

क्रान्ति के लिए तो एक ही कविता काफ़ी होती हैं लेकिन इस काव्य संग्रह में अधिकाँश कविताएँ क्रान्ति लाने में सक्षम हैं।  काश इन कविताओं को आज का युवा पढता और गुनता तो देश की दशा इतनी बिगड़ी न होती।  बानगी  के तौर पर  इस संग्रह से यह  कविता देखें -


शब्द - सैनिकों से 


जाओ !

ओ मेरे शब्दों के मुक्ति - सैनिकों , जाओ !

जिन जिन के मन का देश अभी तक है ग़ुलाम 

जो एकछत्र सम्राट स्वार्थ के शासन में पिस रहे अभी हैं सुबह -शाम 

घेरे हैं जिनको रूढ़ि -ग्रस्त चिंतन की ऊँची दीवारें 

जो बीते युग के संस्कारों की सरमायेदारी का शोषण 

सहते  हैं बेरोकथाम 

उन सब तक नयी रौशनी का पैग़ाम आज पहुँचाओ

जाकर उनको इस क्रूर दमन की कारा से छुड़वाओ !

जाओ !

ओ मेरे शब्दों के मुक्ति - सैनिकों , जाओ !

                        *



पुस्तक का नाम - परिवर्तन की पुकार    ( कविता संग्रह )


लेखक -  डॉ  रणजीत 


प्रकाशक - प्रकाशन केंद्र , लखनऊ 


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , अगस्त 2002


कॉपीराइट - डॉ  रणजीत  ( Not mentioned in Book )


पृष्ठ - 60


मूल्य -10/ INR  ( दस  रुपए केवल )


Binding - पेपरबैक 

Size - डिमाई 4.8 " x 7.5 "


ISBN - Not Mentioned


मुखपृष्ठ चित्र -Not Mentioned




प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


NOTE :  अगर आप हिन्दुस्तानी हैं और आपके मन में भारत माँ के प्रति प्रेम हैं तो इस काव्य संग्रह को ज़रूर पढ़ें। 


1 comment:

  1. चावल के एक दाने की तरह यह कविता सिद्ध करती है कि संग्रह रुचिकर होगा। 👋

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