अगर आप हिन्दी फ़िल्में देखते हैं तो इस किताब के मुखपृष्ठ जैसा सीन आपने हिन्दी फ़िल्मों में ज़रूर देखा होगा। यह लघु उपन्यास रोमांटिक साहित्य युग का है। हमारे जीवन में रोमांस एक अहम् भूमिका निभाता है। यह अत्यंत अफ़सोस की बात है कि इस मशीनी युग में रोमांस हमसे और हम रोमांस से दूर होते जा रहे हैं। पुरानी हिन्दी फ़िल्मों में दर्शाएं गए रोमांस के दृश्य आज भी हमे सुखद अनुभूति देते है। " हम दोनों ' फ़िल्म में देवानंद और साधना पर फ़िल्माया गीत " अभी न जाओ छोड़ कर , दिल अभी भरा नहीं " रोमांस का एक बेहतरीन उदाहरण है। अफ़सोस कि आजकल न तो फ़िल्मों में ऐसा रोमांस देखने को मिलता है और न ही किताबों में पढ़ने को। शायद हमारी रफ़्तार इतनी तेज़ हो गयी है कि मद्धम मद्धम रोमांस की आंच हमारे दिलो की बर्फ़ को पिघला नहीं पाती। यह अफ़सोस की बात है कि इंटरनेट के फैलाव से अश्लील फ़िल्मों और साहित्य के पाठक और दर्शकों की संख्या तो पहले से बहुत बढ़ गयी है लेकिन रोमांस के पाठक और दर्शक लगभग लुप्त हो गए हैं। आज जिस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ उसका नाम है - The Toast of the Town .
It is the second book of the series of The Eversley Saga , traditionally depicts the British pre regency romantic period .
copyright 1968 by Alice Chetwynd Ley
Name of the Book - The Toast of the Town
Writer - Alice Chetwynd Ley
Language - English
Publisher - Originally published by Robert Hale Ltd. London
Printed - in England
ISBN - Not mentioned
Series - Cameo Romances N0. 39
Size - 4.4 " X 6.5 " ( vest - pocket size )
Pages - 64
Binding -Paperback
Price - 1 Shilling
Cover Painting - Anonymous
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
पुस्तक के बहाने आज के यथार्थ पर सटीक टिप्पणी।
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी
ReplyDelete