Saturday, August 21, 2021

पुस्तक परिचय - ' एक संवाद... धरा का '








अधिकांश लोगो का यह मानना है  कि कोरोना महामारी प्रकृति से छेड़ -छाड़ का ही नतीजा है।  ऐसा नहीं है कि सिर्फ़  लेखक और कवि ही पर्यावरण के बारे में चिंतित हैं , हमारे वैज्ञानिक भी पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।  यह विषय  अधिक गंभीर हो जाता है जब कोई  वैज्ञानिक कविता के माध्यम से अपनी चिंता दर्ज़ करता है।  पर्यावरण के विभिन्न सरोकारों के बारे में जब डॉ मृदुला चौहान धरती  से अपनी कविताओं के माध्यम से संवाद करती है तो उनकी पुस्तक  ' एक संवाद.. धरा का ' का जन्म होता है। जी हाँ , आज जिस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत करने जा रहा हूँ ,उसका नाम है -  ' एक संवाद...धरा  का ' . 

यह पुस्तक दो खण्डों में विभाजित है। प्रथम खंड में प्रकृति एवं पर्यारण को समर्पित कविताएँ हैं।  दूसरे खंड में विविध विषयों पर रची कविताएँ हैं। इस कविता संग्रह की भूमिका प्रसिद्ध कवि ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने लिखी है। बानगी के तौर पर इसी संग्रह से उद्धृत चंद पंक्तियाँ देखें -           


धरती पर जीवन बचाने के लिए तुम 

  पानी को कम गन्दा करो 

 और 

  कम पानी को गन्दा '। 



पुस्तक का नाम - एक संवाद..... धरा  का   ( कविता संग्रह )


लेखक -  डॉ मृदुला चौहान


प्रकाशक - पुस्तकम , बैंगलोर 


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2019


कॉपीराइट - डॉ मृदुला चौहान


पृष्ठ - 112


मूल्य -200/ INR  ( दो  सौ  रुपए केवल )


Binding - पेपरबैक 

Size - डिमाई 4.8 " x 7.5 "


ISBN - 978 -93-86933-06-5


मुखपृष्ठ चित्र - एस्तरी  निवेदा



प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


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