Monday, August 2, 2021

21 वी सदी के हिन्दी साहित्य में बदलती विधाएँ

 


समय के साथ साथ सब कुछ बदलता है , समाज , जाति , देश ,भाषा , संस्कृति और  साहित्य।  हिन्दी सहित्य लेखन में समय के साथ साथ नई नई विधाएँ जुड़ती  रही।  आज जिन विधाओं में साहित्य लेखन हो रहा हैं उनमे - कविता , गीत , कहानी , लघु कथा , उपन्यास , निबंध , व्यंग्य ,ललित निबंध , बतकही , यात्रा वृतांत , साक्षात्कार , पुस्तक समीक्षा , डायरी , अनुवाद , संस्मरण , आलेख , हाइकु ,दोहे , ग़ज़ल , यायावरी आदि के नाम उल्लेखनीय  हैं।  पिछले दिनों एक लोकप्रिय हिन्दी साहित्यिक ऑनलाइन पटल पर जाने का अवसर मिला , जहाँ कुछ नवीनतम विधाओं का नाम और उन विधाओं में रचना पढ़  कर मन आश्चर्य  से भर गया।  यक़ीनन आप भी जानना चाहेंगे इन नवीनतम विधाओं के बारे में , बानगी के तौर पर निम्नलिखित चंद अद्भुत विधाओं के नाम देखें -


डमरू , पिरामिड  , त्रिभुज  , गोलाकार  ,अर्धगोलाकार , पंचभुज आदि



डमरू काव्य विधा का एक उदाहरण देखें -


                               जब भी आप मुस्कुराये 

                                    दिल मेरा शर्माए 

                                         शर्माए दिल 

                                            मेरा 

                                            तेरा 

                                        दिल शर्माए

                                    दिल तेरा शर्माए 

                                जब भी आप मुस्कुराये 


उपरोक्त डमरू विधा  में लिखी गयी कविता एक डमरू  के आकर में हैं और इसलिए इस विधा का नाम डमरू दिया गया हैं। इसी प्रकार शेष दूसरे आकारों में लिखी कविताएँ उन आकारों के नाम की विधा जानी जाएगी  , मसलन एक और उदाहरण पिरामिड विधा का देखें -


                                                        मैं

                                                   कल रात 

                                                देर तक जागता 

                                             रहा था और आज  भी

                                        जाग रहा हूँ आपके साथ  यारो


इसी तरह बाक़ी विधाओं में भी रचना क्रम  ज़ारी हैं। नहीं मालूम  हिन्दी साहित्य इससे समृद्ध हो रहा हैं या इन विधाओं के लेखक समृद्ध हो रहें हैं या फ़िर वो ऑनलाइन पटल जिस पर कोई भी लेखक  कुछ भी, कभी भी पोस्ट कर सकता है ?

यहाँ लेखक , लेखक भी है , पाठक भी है और सम्पादक भी ख़ुद ही है।


- इन्दुकांत आंगिरस 

2 comments:

  1. रोचक जानकारी

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  2. पिरामिड विधा में लिखी कविता तो फिर भी ठीक लगी, लेकिन डमरू आकार में लिखी कविता तो जबरदस्ती की कविता लग रही है। हो सकता है आगे चलकर कोई इस विधा में भी दमदार रचना करने में सक्षम हो जाए।

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