Wednesday, August 25, 2021

पुस्तक परिचय - ' अभिनेता की मृत्यु '

 







साहित्य में अनुवाद का बहुत महत्त्व है। जिस तरह  हिन्दी भाषा का कुछ साहित्य दूसरी भारतीय भाषाओं  के साथ साथ विदेशी भाषाओं में भी अनूदित   हो चुका है उसी तरह दूसरी प्रादेशिक भाषाओं एवं विदेशी भाषाओं का अनुवाद हिन्दी भाषा में अनूदित हो चुका  है।  अनुवाद से दोनों भाषाएँ समृद्ध होती हैं। पाठकों को दूसरी भाषा के साहित्य पढ़ने का अवसर मिलता है और जिन लेखकों की कृतियों का अनुवाद किया जा जाता है उनके साहित्य की चर्चा दूसरी भाषा के साहित्य में भी होने लगती है।  हंगेरियन ,विश्व की दुर्लभ और कठिनतम भाषाओं में से एक है।  आज जिस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ उसका शीर्षक है ' अभिनेता की मृत्यु '।  इस संग्रह में बीसवीं शताब्दी की कुछ हंगेरियन कहानियाँ और उपन्यासों  के अंश सम्मिलित हैं। 

इन हंगेरियन साहित्यिक कहानियों का हिन्दी अनुवाद मूल हंगेरियन भाषा से हिन्दी भाषा में भारतीय हंगेरियन विद्वान एवं हंगेरियन हिन्दी विद्वानों द्वारा किया गया हैइस कहानी संग्रह के अनुवादक हैं सर्वश्री डॉ कोवैश मारगित ,असग़र वजाहत  ,नेज्यैशी मारिया  , जतिन कौशिक ,इन्दुकांत आंगिरस  , इन्दु मज़लदान ओर सुचिता वर्मा । 



पुस्तक का नाम -    अभिनेता की मृत्यु 

सम्पादक :   डॉ कोवैश मारगित  ( Dr Köves Margit ) 


प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस , नयी दिल्ली 


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2001

कॉपीराइट - सर्वाधिकार सुरक्षित 


पृष्ठ - 146


मूल्य -200/ INR  ( दो  सौ  रुपए केवल )


Binding - Hardbound 

Size - डिमाई 4.8 " x 7.5 "


ISBN - 81-214-0420-7


मुखपृष्ठ छायाचित्र - Bródy Sándor utca , Budapest by Imre Weber 


   



                                                                                     

मूल लेखक                                                                                            


  Balázs Béla                                                                             

  Kaffka Margit                                                             

Kosztolányi Dezső                                                                

Nagy Lajos                                                                  

Karinthy Frigyes                                                                                

Fejes Endre                                                                                        

Örkény István                                                                                       

Kertész Imre 

Esterházy Péter

Tar Sándor

Szabó Magda       

Lány András 

Forgács Zsuzsa

Spiró György                                                                                

                                                                                                        

                                                                                                    

                                                                                                    


प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 

                                                                                                   

                                                                                                    









Sunday, August 22, 2021

पुस्तक परिचय - The Toast of the Town

 





अगर आप हिन्दी फ़िल्में  देखते हैं तो इस किताब  के मुखपृष्ठ जैसा सीन आपने हिन्दी फ़िल्मों  में ज़रूर देखा होगा।  यह लघु उपन्यास रोमांटिक  साहित्य युग का है। हमारे जीवन में रोमांस एक अहम् भूमिका निभाता है। यह अत्यंत अफ़सोस की बात है कि इस मशीनी युग में रोमांस हमसे और हम रोमांस से दूर होते जा रहे हैं।   पुरानी हिन्दी फ़िल्मों में दर्शाएं गए रोमांस के दृश्य आज भी हमे सुखद अनुभूति देते है। " हम दोनों ' फ़िल्म  में  देवानंद  और साधना पर फ़िल्माया  गीत  " अभी न जाओ छोड़ कर , दिल अभी भरा  नहीं " रोमांस का एक बेहतरीन उदाहरण है। अफ़सोस कि आजकल न तो  फ़िल्मों में ऐसा रोमांस देखने को मिलता है और न ही  किताबों में पढ़ने को। शायद हमारी रफ़्तार इतनी तेज़ हो गयी है कि मद्धम मद्धम रोमांस की आंच हमारे दिलो की बर्फ़ को पिघला  नहीं पाती। यह अफ़सोस की बात है कि इंटरनेट के फैलाव से  अश्लील फ़िल्मों और साहित्य के पाठक और दर्शकों की संख्या तो पहले से बहुत बढ़ गयी है लेकिन रोमांस के पाठक और दर्शक लगभग लुप्त हो गए हैं। आज जिस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ उसका नाम है - The Toast of the Town .

It is the second book of the series of The Eversley Saga , traditionally depicts the British pre regency romantic period  .



copyright 1968 by Alice Chetwynd Ley

Name of the Book - The Toast of the Town


Writer - Alice Chetwynd Ley

Language - English


Publisher - Originally published by Robert Hale Ltd. London 


Printed  -  in England 


ISBN - Not mentioned 


Series - Cameo Romances N0. 39


Size - 4.4 " X 6.5 " ( vest - pocket size  )


Pages -   64 


Binding  -Paperback 


Price - 1 Shilling


Cover Painting - Anonymous




प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 

Saturday, August 21, 2021

पुस्तक परिचय - ' एक संवाद... धरा का '








अधिकांश लोगो का यह मानना है  कि कोरोना महामारी प्रकृति से छेड़ -छाड़ का ही नतीजा है।  ऐसा नहीं है कि सिर्फ़  लेखक और कवि ही पर्यावरण के बारे में चिंतित हैं , हमारे वैज्ञानिक भी पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।  यह विषय  अधिक गंभीर हो जाता है जब कोई  वैज्ञानिक कविता के माध्यम से अपनी चिंता दर्ज़ करता है।  पर्यावरण के विभिन्न सरोकारों के बारे में जब डॉ मृदुला चौहान धरती  से अपनी कविताओं के माध्यम से संवाद करती है तो उनकी पुस्तक  ' एक संवाद.. धरा का ' का जन्म होता है। जी हाँ , आज जिस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत करने जा रहा हूँ ,उसका नाम है -  ' एक संवाद...धरा  का ' . 

यह पुस्तक दो खण्डों में विभाजित है। प्रथम खंड में प्रकृति एवं पर्यारण को समर्पित कविताएँ हैं।  दूसरे खंड में विविध विषयों पर रची कविताएँ हैं। इस कविता संग्रह की भूमिका प्रसिद्ध कवि ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने लिखी है। बानगी के तौर पर इसी संग्रह से उद्धृत चंद पंक्तियाँ देखें -           


धरती पर जीवन बचाने के लिए तुम 

  पानी को कम गन्दा करो 

 और 

  कम पानी को गन्दा '। 



पुस्तक का नाम - एक संवाद..... धरा  का   ( कविता संग्रह )


लेखक -  डॉ मृदुला चौहान


प्रकाशक - पुस्तकम , बैंगलोर 


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2019


कॉपीराइट - डॉ मृदुला चौहान


पृष्ठ - 112


मूल्य -200/ INR  ( दो  सौ  रुपए केवल )


Binding - पेपरबैक 

Size - डिमाई 4.8 " x 7.5 "


ISBN - 978 -93-86933-06-5


मुखपृष्ठ चित्र - एस्तरी  निवेदा



प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


Tuesday, August 17, 2021

डॉ सुभाष वसिष्ठ के वीडियों गीत - ' भेंटशुदा चश्मा ' का ऑनलाइन विमोचन


                                                                डॉ सुभाष वसिष्ठ


 

 भेंटशुदा चश्मा  


किसी भी किताब का प्रकाशन लेखक के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि  होती है।  सबसे पहले तो साहित्य सृजन ही अपनेआप में एक दुष्कर कार्य है फ़िर उसके बाद अपनी रचनाओं को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाना , और प्रकाशन के बाद उसका विमोचन। पुस्तक का  लोकार्पण होना एक कन्या के विवाह  की तरह ही होता है।  पुस्तक पाठकों के हाथ पहुँच जाती है और पाठक ही पुस्तक का विवेचन करते हैं। पाठकों के अलावा पुस्तक का भविष्य कुछ हद तक आलोचकों  के हाथ में भी होता है।  समय के साथ साथ सब कुछ बदलता है , वैसे भी कोरोना के चलते आजकल सभी पुस्तकों का विमोचन ऑनलाइन ही हो रहा है।  पिछले दिनों एक नया प्रयोग  देखने में आया है।  आजकल लेखक / कवि अपने गीतों का फ़िल्मांकन करवा रहें हैं और उनका भी ऑनलाइन विमोचन हो रहा है। इस प्रयोग  की लोकप्रियता भी बढ़ रही है क्योकि पढ़ने से ज़्यादा पाठक सुनना  पसंद करते हैं , इसीलिए यूट्यूब पर विभिन्न प्रकार के वीडियों उपलब्ध हो रहें हैं। इसी सिलसिले में 01-08-2021 को डॉ सुभाष वसिष्ठ का नवीनतम नव गीत '  भेंटशुदा चश्मा ' के वीडियो का ऑनलाइन विमोचन यूट्यूब पर सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। SMG प्रोडक्शंस के बैनर तले सुधीर तोमर ( सनी सिंह ) के निर्देशन में निर्मित हुआ। कुछ समय पहले डॉ सुभाष वसिष्ठ की वीडियो एल्बम " बीते इतने दिन " भी अत्यंत लोकप्रिय हुई। आइये , आप भी भेंटशुदा चश्मा का लुत्फ़ उठायें - 


https://www.youtube.com/watch?v=JW6vHXOKFBQ



प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 

Sunday, August 15, 2021

पुस्तक परिचय - उजली होती भोर




मैंने इसी ब्लॉग पर 3-8- 2020 को जगदीश कश्यप के बारे में लिखा था। जगदीश कश्यप लघुकथा के प्रवर्तकों में से एक थे।  मुझे तो लघुकथा लिखने की प्रेरणा उनसे ही मिली थी।  पिछले कुछ दशकों में लघुकथा हिन्दी साहित्य में एक सशक्त विधा के रूप  में उभरी है।  आजकल लघुकथाएँ  प्रचुर मात्रा में लिखी जा रही हैं और इनकी लोकप्रियता भी बढ़ रही है। विषयों की विविधता ( विशेष रूप से सामजिक विषय ) भी लघुकथा विधा की लोकप्रियता का एक ठोस कारण है।  इसका एक कारण हो सकता है इसका लघु रूप होना। २-३ मिनट में पढ़ी जाने वाली लघुकथाएँ पाठकों को ज़रूर पसंद   आती  होंगी क्योकि आज के पाठक के पास समय की कमी है। लघुकथाओ का प्रचुर मात्रा में लेखन इस बात की भी पुष्टि करता है कि लघुकथा लिखना कोई मुश्किल काम नहीं , कम से कम इसके सृजन में ग़ज़ल जैसी मेहनत नहीं करनी पड़ती।  ख़ैर कारण कुछ भी हो लेकिन इसमें कोई दो राय  नहीं कि लघुकथाएँ थोक में लिखी जा रहीं है और इसके पाठकों की संख्या  भी बढ़ती ही जा रही है। पिछले दिनों अंजू खरबंदा का लघुकथा संग्रह पढ़ने को मिला। बानगी के रूप में इसी संग्रह से एक लघुकथा प्रस्तुत है -


होम ! हैप्पी होम 


नेहा एक दिन बच्चों को पढ़ा रही थी । एक कविता मे दादा-दादी ,नाना-नानी की बात आई । रैनेसां ने नेहा की ओर प्रश्न सूचक निगाहो से देखते हुए  कहा - "मम्मा घर में दादा-दादी की फोटो तो है पर नाना-नानी की क्यो नही !" 

उसकी बात सुनकर रोहन ज़ोर ज़ोर  से हँसने लगा और बोला - "बुद्धु तुझे इतना भी नही पता ! ये घर पापा का है , तो पापा के मम्मी पापा की फोटो ही तो लगेगी ना ! क्यूं पापा !"

पास ही बैठे पति देव ने नेहा की ओर दृढ़ता से देखते हुये कहा - "जितना ये घर मेरा है उतना ही तुम्हारी मम्मी का ।" 

इतना कह कर वे उठकर जाने लगे । नेहा ने पूछा "कहाँ चल दिये एकदम से !"

"बच्चों का सवाल वाजिब है तो जवाब भी तो वाजिब ही होना चाहिए ना ! तुम मम्मी पापा की अच्छी-सी फोटो निकाल दो, मै आज ही फ्रेम करवा कर  उनकी तस्वीर भी लगाता हूँ।  !"


-अंजू खरबंदा






 पुस्तक का नाम - उजली होती भोर  ( लघुकथा संग्रह )


लेखक -  अंजू खरबंदा 


प्रकाशक - इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड , नोयडा  


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2021


कॉपीराइट - अंजू खरबंदा 


पृष्ठ - 146


मूल्य - 350/ INR  ( तीन  सौ पचास रुपए केवल )


Binding - पेपरबैक 


Size - डिमाई  4.8 " x  7.5 "


ISBN - 978 -93-91186-54-8


आवरण  - विनय माथुर 



प्रस्तुति -इन्दुकांत आंगिरस 






Saturday, August 7, 2021

पुस्तक परिचय - VOL DE NUIT






VOL DE NUIT - Night Flight 

ख़तों के क़ासिद - रात में जहाजों की परवाज़ 


ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि अधिकांश लेखकों का पेशा  लेखन नहीं होता। केवल लेखन पर निर्भर करने वाले लेखक गिने -चुने ही  हैं , विशेषरूप से हिन्दी साहित्यकार। हम जब भी ग़ैर पेशे के लेखकों को साहित्य की रचना करते देखते हैं तो कुछ देर को आश्चर्य से भर जाते हैं विशेषरूप से जब विज्ञान और इंजीनयरिंग के पेशे वाले लोग साहित्य की रचना करते है , क्योंकि विज्ञान तथ्यों  पर आधारित  होता है जबकि साहित्य में कल्पना के पंखों की उड़ान देखने को मिलती है।  आज मैं आपको जिस पुस्तक का परिचय देने जा रहा हूँ उस पुस्तक का नाम  है  VOL DE NUIT और यह पुस्तक फ्रेंच भाषा में है।  इसके लेखक एक पायलट के साथ साथ लेखक भी है। यह उनका दूसरा उपन्यास है जो इतना लोकप्रिय हुआ कि 1933 में   उस पर एक फ़िल्म का निर्माण भी हुआ।  उस ज़माने में विश्व के एक कोने से दूसरे कोने में ( विशेषरूप से अमेरिका में  )  हवाईजहाज से डाक जाती थी और इस कार्य को करने वाले विशिष्ट जहाज रात को उड़ा करते थे।  इन जहाजों को उड़ाने वाले कई पायलट्स थे लेकिन रात में जहाज उड़ाते  वक़्त सौरमंडल के अद्भुत दृश्यों को क़लमबद्ध करने का काम  Antoine de Saint - Exupéry ने ही किया।  इस पुस्तक की भूमिका  D' ANDRÉ GIDE ने लिखी है। 

शायद आप सोचे कि मैं इस पटल पर एक फ्रेंच किताब के बारे में क्यों लिख रहा हूँ। भारत में जो स्थिति अँगरेज़ी  भाषा की आज से 300  वर्ष पूर्व थी वही आज फ्रेंच भाषा की है।  आज भारतीय स्कूलों में फ्रेंच भाषा पढ़ाई जा रही है और हो सकता है आज से 300 वर्ष बाद फ्रेंच भाषा बोलने और समझने वालो की संख्या अँगरेज़ी भाषा के बराबर हो जाए, यूँ भी अदबीयात्रा में विश्व की सभी भाषाओं और साहित्य का स्वागत है।   



Name of the Book -  VOL DE NUIT


Writer - Antoine de Saint - Exupéry


copyright 1931 by Librairie Gallimard


Language - French


Publisher - Le LIVRE de POCHE


Printed  -  in FRANCE


ISBN - Not mentioned 


Size - 4.4 " X 6.5 " ( vest - pocket size  )


Pages - 172  


Binding  -Paperback 


Price  Mentioned on Back Cover 





प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 

NOTE : Antoine de Saint - Exupery के बारे में अधिक जानकारी के लिए उनका विकी पेज देखें। 





Monday, August 2, 2021

21 वी सदी के हिन्दी साहित्य में बदलती विधाएँ

 


समय के साथ साथ सब कुछ बदलता है , समाज , जाति , देश ,भाषा , संस्कृति और  साहित्य।  हिन्दी सहित्य लेखन में समय के साथ साथ नई नई विधाएँ जुड़ती  रही।  आज जिन विधाओं में साहित्य लेखन हो रहा हैं उनमे - कविता , गीत , कहानी , लघु कथा , उपन्यास , निबंध , व्यंग्य ,ललित निबंध , बतकही , यात्रा वृतांत , साक्षात्कार , पुस्तक समीक्षा , डायरी , अनुवाद , संस्मरण , आलेख , हाइकु ,दोहे , ग़ज़ल , यायावरी आदि के नाम उल्लेखनीय  हैं।  पिछले दिनों एक लोकप्रिय हिन्दी साहित्यिक ऑनलाइन पटल पर जाने का अवसर मिला , जहाँ कुछ नवीनतम विधाओं का नाम और उन विधाओं में रचना पढ़  कर मन आश्चर्य  से भर गया।  यक़ीनन आप भी जानना चाहेंगे इन नवीनतम विधाओं के बारे में , बानगी के तौर पर निम्नलिखित चंद अद्भुत विधाओं के नाम देखें -


डमरू , पिरामिड  , त्रिभुज  , गोलाकार  ,अर्धगोलाकार , पंचभुज आदि



डमरू काव्य विधा का एक उदाहरण देखें -


                               जब भी आप मुस्कुराये 

                                    दिल मेरा शर्माए 

                                         शर्माए दिल 

                                            मेरा 

                                            तेरा 

                                        दिल शर्माए

                                    दिल तेरा शर्माए 

                                जब भी आप मुस्कुराये 


उपरोक्त डमरू विधा  में लिखी गयी कविता एक डमरू  के आकर में हैं और इसलिए इस विधा का नाम डमरू दिया गया हैं। इसी प्रकार शेष दूसरे आकारों में लिखी कविताएँ उन आकारों के नाम की विधा जानी जाएगी  , मसलन एक और उदाहरण पिरामिड विधा का देखें -


                                                        मैं

                                                   कल रात 

                                                देर तक जागता 

                                             रहा था और आज  भी

                                        जाग रहा हूँ आपके साथ  यारो


इसी तरह बाक़ी विधाओं में भी रचना क्रम  ज़ारी हैं। नहीं मालूम  हिन्दी साहित्य इससे समृद्ध हो रहा हैं या इन विधाओं के लेखक समृद्ध हो रहें हैं या फ़िर वो ऑनलाइन पटल जिस पर कोई भी लेखक  कुछ भी, कभी भी पोस्ट कर सकता है ?

यहाँ लेखक , लेखक भी है , पाठक भी है और सम्पादक भी ख़ुद ही है।


- इन्दुकांत आंगिरस