एक रोता हुआ शिशु अक्सर लोरी सुन कर चुप हो जाता है और थोड़ी ही देर में सो भी जाता है। कम उम्र के बच्चें हमेशा अपने दादा -दादी या नाना - नानी से सोने से पहले परियों की दिलचस्प कहानियाँ सुनते हैं । बाल मन सबसे पहले कविता , गीत और क़िस्सों से परिचित होता है। बचपन में सुने गए क़िस्से और गीत बाल मन पर गहरी छाप छोड़ते हैं। इसीलिए समाज में बाल साहित्य का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। बड़े बड़े कवि और लेखकों ने बाल साहित्य की रचना करी है। समय के साथ साथ बाल साहित्य की संरचना में बदलाव भी आया है लेकिन इसमें कोई दोराह नहीं कि सभी साहित्यकारों की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वे अपनी अपनी क्षमता अनुसार बाल साहित्य की रचना करें और बाल साहित्य का अनुवाद भी करें जिससे कि सभी बच्चें दूसरी भाषाओं के साहित्य से भी परिचित हो सकें। आज मैं आपको उर्दू में रची दुर्लभ बाल साहित्य की पुस्तक से परिचित कराता हूँ। इस पुस्तक का नाम " अनमोल मोती " है और इसके लेखक राज़ सिकन्दराबादी है। पुस्तक में बाल विषयों पर छंदबद्ध नज़्में हैं और उनसे सम्बंधित चित्र भी बने हुए हैं। यह पुस्तक बच्चों के लिए तो लाभकारी होगी ही साथ साथ उर्दू भाषा सीखने वालो के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। बानगी के रूप में एक नज़्म की चंद पंक्तियाँ देखें -
चुन्नू - मुन्नू की चिड़िया
चुन्नू की अच्छी चिड़िया
मुन्नू की अच्छी चिड़िया
बोली सुनाती बड़े प्यार की
उड़ती हैं देखो फुर्र फुर्र
काटे दुनिया के चक्कर
बात बताती सागर पार की
पुस्तक का नाम - अनमोल मोती
लेखक का नाम - राज़ सिकंदराबादी
भाषा - उर्दू
प्रकाशक - सुमीत पुब्लिकेशन्स , नई दिल्ली
प्रकाशन वर्ष - 1998
ISBN - NIL
Binding -पेपरबैक
पृष्ठ - 32
मूल्य - 25/ INR ( पच्चीस रूपये केवल )
Size - 5.5 " x 8.5 "
Calligrapher - Shafiq- ul - Rahman
Artist - M.Shakeel Gulzari Saifi
Proof Reader - Jameela Khan Saifi
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
यदि इस समीक्षा के साथ भी नमूने के तौर पर पुस्तक से एक दो नज़्म भी उद्धृत कर देते तो समीक्षा मुकम्मल हो जाती।
ReplyDeleteतुरंत कार्रवाई के लिए धन्यवाद। पंक्तियां पढ़ने से स्पष्ट हो रहा है कि यह किस आयु समूह को ध्यान में रख कर लिखी गई है।
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