कला के बिना मनुष्य अधूरा है। आदिकाल से कलाकार , फ़नकार , साहित्यकार अपनी कला को समाज तक पहुँचाते रहे हैं , विशेषरूप से मुशायरे और कवि -सम्मेलनों का आयोजन अत्यंत लोकप्रिय रहा है। मुग़ल काल में तो शमा वाले मुशायरे रात को ही हुआ करते थे। कवि -सम्मेलन और मुशायरे आज भी अक्सर रात को ही आयोजित किये जाते हैं लेकिन अब शमा की रौशनी नहीं होती। कवि -सम्मेलन और मुशायरों की महत्ता इसी बात से जानी जा सकती है कि भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल क़िले में तीन दिन तक कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिसमे एक दिन कवि -सम्मेलन , दूसरे दिन मुशयरा और तीसरे दिन पंजाबी कवि - दरबार , जिसमे हज़ारों की संख्या में श्रोता जमा होते हैं। मैंने भी अपने जीवन में अनेक कवि -सम्मेलन और मुशायरे सुने हैं , अपने रु - ब - रु किसी भी शाइर या कवि को सुनने का मज़ा ही अलग है। आपने भी अपने जीवन में कवि -सम्मेलन और मुशायरे ज़रूर सुने होंगे लेकिन शायद पक्षियों का कवि -सम्मेलन कभी नहीं सुना होगा। आज जिस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ , उस पुस्तक का नाम है - पक्षियों का कवि -सम्मेलन । इस पुस्तक में " पक्षियों का कवि -सम्मेलन " के अतिरिक्त एक बाल एकांकी - " खेल खेल में " एवं " पेड़ -सम्मेलन " नामक एक बाल कथा भी है जिसमे पीपल , बरगद ,नीम ,बबूल और आम के पेड़ अपना काव्यात्मक परिचय देते हैं। बाल साहित्य में इस पुस्तक का अपना एक मक़ाम है और न केवल बच्चें अपितु वयस्क पाठक भी इस पुस्तक का लुत्फ़ उठा सकते हैं। प्रसिद्ध लेखक कीर्तिशेष बाबूराम पालीवाल का सरल लेखन ही इस कृति को महत्त्वपूर्ण बनाता है।
पुस्तक का नाम - पक्षियों का कवि -सम्मेलन
लेखक - कीर्तिशेष बाबूराम पालीवाल
प्रकाशक - नेशनल बुक ट्रस्ट , नई दिल्ली
प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2010
चतुर्थ संस्करण - 2019
कॉपीराइट - भारती पालीवाल
पृष्ठ - 36
मूल्य - 50/ INR ( पचास रुपए केवल )
Binding - पेपरबैक
Size - 7.5 " x 9.5 "
ISBN - 978 -81-237-5814-5
चित्रांकन - अरूप गुप्ता
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
यह पुस्तक बच्चों के लिए अत्यंत उपयोगी प्रतीत होती है।
ReplyDeleteआशा करता हूँ कि बच्चों के लिए ज्ञान वर्धक पुस्तक होगी।
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