छन्द : शिक्षा ,छन्द : शास्त्र पर आधारित एक दुर्लभ पुस्तक है। छन्द : शास्त्र अपने आप में एक शास्त्र ही है लेकिन इसका जन्म काव्यकला के उपरान्त ही होता है। किसी भी प्राचीन कवि ने छन्द : शास्त्र को अपने सामने रख कर काव्य की रचना नहीं करी होगी। हमारे प्राचीनतम वेदों में भी छन्द : शास्त्र को देखा जा सकता है। किसी भी कवि के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि उसे छन्द : शास्त्र का ज्ञान हो। वास्तव में एक युग ऐसा था जब किसी भी कवि के लिए छन्द : शास्त्र का ज्ञान अनिवार्य था , बिना इस ज्ञान के पूर्ण कवि बनना संभव नहीं था। समय के साथ साथ साहित्य ने भी करवट ली और कवि ने ख़ुद को छंदों से आज़ाद किया और छंदों को भी मुक्ति दिलाई लेकिन इसमें कोई दोराह नहीं कि एक छंदबद्ध रचना कई कारणों से एक मुक्त छंद की रचना से अधिक प्रभावशाली हो सकती है। यही सोच कर मैं छन्द : शिक्षा पुस्तक का परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ और आशा करता हूँ कि कवियों के लिए यह पुस्तक अवश्य लाभकारी सिद्ध होगी। इस पुस्तक में छंदों की जानकारी अत्यंत विस्तार से दी गयी है।
पुस्तक का नाम : छन्द : शिक्षा
लेखक - पंडित श्री परमेश्वरानन्द शर्मा शास्त्री
प्रकाशक - लाला ख़ज़ांचीराम जैन , मैनेजिंग प्रोपराइटर , मेहरचंद लक्ष्मणदास , संस्कृत - हिंदी पुस्तक विक्रेता , सैद मिट्टा बाज़ार , लाहौर
प्रकाशन वर्ष - छठा संस्करण , 1946
ISBN - NIL
Binding - संभवतः सजिल्द
Copyright - Not mentioned
मूल्य - संभवतः 5.50 INR
पृष्ठ - 86
साइज - 4.5 " x 7 "
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
रोचक जानकारी
ReplyDeleteछंदवद्ध कविता लिखने वाले रचनाकारों के लिए बहुत उपयोगी पुस्तक
ReplyDelete