Wednesday, July 28, 2021

पुस्तक परिचय - RAIN

 








किताबें  , पाठक ,लेखक और प्रकाशक 


अक्सर पाठकों का लेखकों से कोई सीधा सम्बन्ध तो नहीं होता लेकिन लेखक की रचनाओं के माध्यम से पाठक के मन में लेखक की एक छबि बन जाती है।  पाठकों तक लेखकों की किताबें पहुँचाने का  मुश्किल काम प्रकाशकों द्वारा पूर्ण किया जाता है।  प्रकाशक के लिए पुस्तकों का प्रकाशन करना एक व्यापार तो होता है किन्तु किसी भी पुस्तक को सुसज्जित रूप में पाठकों तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी भी प्रकाशक की ही होती है। आज मैं जिस दुर्लभ पुस्तक का परिचय आपको देने जा रहा हूँ , उस पुस्तक का नाम है - RAIN 

It is a story written by W. Somerset Maugham . This book is a part of 1st series of DELL 10 Cents books. 12 famous stories  of established writers   were published  ,which  can be seen on last page of the book given above. RAIN is from the collection of stories - Trembling of a leaf . by W. Somerset Maugham . The book depicts the age-old struggle between flesh and spirit . 

In the end Sadie Thompson cried - " You men ......You're all the same . "

कह नहीं सकता कि मर्दों के बारे में हिन्दी भाषा की कहावत " सभी मर्द एक से होते  हैं   "उपरोक्त ब्यान से भी पुरानी है या नहीं ?


copyright 1921 by Doubleday, Doran & Company ,Inc.and reprinted by arrangement with Doubleday & Company Inc.Garden City , N.Y.


Name of the Book - RAIN  

( The story of Sadie Thompson )


Writer W. Somerset Maugham 


Language - English


Publisher - DELL Publishing Company , INC.


Printed  -  in USA


ISBN - Not mentioned 


Size - 4.4 " X 6.5 " ( vest - pocket size  )


Pages -   64  (  Not numbered in book  )


Binding  -Paperback 


Price  10 Cents 


Cover Painting - Victor Kalin 





प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 

NOTE : W. Somerset Maugham  के बारे में अधिक जानकारी के लिए उनका विकी पेज देखें। 





Wednesday, July 21, 2021

पुस्तक परिचय - अनमोल मोती








 एक रोता हुआ शिशु अक्सर लोरी सुन कर चुप हो जाता है और थोड़ी ही देर में सो भी जाता है।  कम उम्र के बच्चें हमेशा अपने दादा -दादी या नाना - नानी से सोने से पहले परियों की दिलचस्प कहानियाँ सुनते हैं ।  बाल मन सबसे पहले कविता , गीत और क़िस्सों से परिचित होता है। बचपन में सुने गए क़िस्से और गीत बाल मन पर गहरी छाप छोड़ते हैं।  इसीलिए समाज में बाल साहित्य का अत्यंत महत्त्वपूर्ण  स्थान है।  बड़े बड़े कवि और लेखकों ने बाल साहित्य की रचना करी  है।  समय के साथ साथ बाल साहित्य की संरचना में बदलाव भी आया है लेकिन इसमें कोई दोराह नहीं कि सभी साहित्यकारों की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वे अपनी अपनी क्षमता अनुसार बाल साहित्य की रचना करें और बाल साहित्य का अनुवाद भी करें जिससे कि सभी बच्चें दूसरी भाषाओं के साहित्य से भी परिचित हो सकें।  आज मैं आपको उर्दू में रची दुर्लभ बाल साहित्य की पुस्तक से परिचित कराता हूँ।  इस पुस्तक का नाम " अनमोल मोती " है और इसके लेखक राज़ सिकन्दराबादी है।  पुस्तक में बाल विषयों पर छंदबद्ध नज़्में हैं और उनसे सम्बंधित चित्र भी बने हुए हैं। यह पुस्तक बच्चों के लिए तो लाभकारी होगी  ही साथ साथ उर्दू भाषा सीखने वालो के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। बानगी के रूप में एक नज़्म की चंद पंक्तियाँ देखें - 

चुन्नू - मुन्नू की चिड़िया 


चुन्नू की अच्छी चिड़िया 

मुन्नू की अच्छी चिड़िया 

बोली सुनाती बड़े प्यार की 

उड़ती हैं देखो फुर्र फुर्र 

काटे दुनिया के चक्कर 

बात बताती सागर पार की 


पुस्तक का नाम - अनमोल मोती 


लेखक का नाम - राज़ सिकंदराबादी 


भाषा - उर्दू 


प्रकाशक - सुमीत पुब्लिकेशन्स , नई दिल्ली 


प्रकाशन वर्ष - 1998

ISBN - NIL 


Binding  -पेपरबैक 


पृष्ठ - 32


मूल्य - 25/  INR ( पच्चीस रूपये केवल ) 


Size - 5.5 " x 8.5 "


Calligrapher - Shafiq- ul - Rahman 

Artist - M.Shakeel Gulzari Saifi 

Proof Reader - Jameela Khan Saifi 



प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 



Monday, July 19, 2021

पुस्तक परिचय - Voltaire’s Alphabet of Wit

 






Voltaire was a French writer who wrote in almost all the literary forms . He was famous for his wit .Today I am giving introduction of this rare book of Voltaire . I am also quoting one article from this book so that readers may get a glimpse of it and may go ahead to read this book if they wish


Article : Self -Love


A beggar in Madrid was asking alms ; a passer-by said to him , “ Are’nt you ashamed to beg like this , when you can work ? “ “ Sir “, replied the mendicant . “ I ask you for money , not advice ,”and he turned his back with true Castilian dignity.The beggar was haughty ; his vanity was easily wounded ; he asked alms out of self -love , and would not suffer reprimand out of even greater self – love.


A missionary in India saw a fakir loaded with chains , naked as an ape , lying on his belly and lashing himself for the sins of his fellows , who gave him coins .” What self – renouncement ! “ said a spectator . “Self – renouncement !” repeated the fakir scornfully , “ I lash myself in this world only to serve you the same in the next when you will be the horse and I the rider .


Whoever said that self -love is the basis of all our emotions and actions was right ; it isn’t necessary to prove that men have faces nor that they possess self -love .It is the instrument of our preservation : it is like a provision for perpetuating mankind ; it is essential , it is dear to us , it is delightful , and it should be hidden .



Book Name – Voltaire’s Alphabet of Wit


Writer - Voltaire


Language – English


Publisher – The Peter Pauper Press , NY


Edited And illustrated by – Paul McPharlin


Publication Year – 1945 , 1946 , 1955


ISBN - NIL


Copyright - Peter Pauper Press


Number of Pages -62

Total Articles - 40


Binding – Hardcover


Price - Not found 


Size – 4.2 " x 7.2 "



Presented by - Indukant Angiras 

Sunday, July 18, 2021

पुस्तक परिचय - राम सागर

 





रामायण , रघुवंशी राजा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन पर आधारित हिन्दू ग्रन्थ है।  संस्कृत भाषा में रचित आदि रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा रची  गयी।  रामायण भारत की कुछ दूसरी  भाषाओं में भी उपलब्ध है।  भारतीय संस्कृति एवं जीवन शैली  पर रामायण  का गहरा प्रभाव देखने का मिलता है। मेरी कवि मित्र , कवयित्री महेश्वरी निगम ने रामायण से प्रेरित होकर ' राम सागर ' की रचना करी। आज यानी 18  जुलाई '2021 उनका 85 वा जन्म दिन है , इसलिए आज इस पुस्तक का परिचय देते हुए मुझे अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। 


         "राम सागर " कथा -काव्य में श्री राम की जीवन कथा का संक्षेप में वर्णन किया गया है । इस कथा -काव्य की  भाषा अत्यंत सहज एवं सरल है ।  काव्यात्मक छंदों में एक अविरल गति है जिसके रहते पढ़ने  में कही भी बाधा   नहीं आती ।  रोचक छंदों की पठनीयता इस काव्य के सौंदर्य को और अधिक बढ़ा देती है। कुछ शब्दों में अवधी एवं फ़ारसी भाषा की झलक मिलती है ।  " राम सागर " भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं विस्तार में " राम सागर " निश्चय ही  एक महत्त्वपूर्ण  भूमिका निभाएगी ।  इस कथा -काव्य को पढ़ कर पाठकों के मन में सम्पूर्ण रामायण पढ़ने की जिज्ञासा जागेगी , विशेषरूप से बाल मन पर इस कृति की अमिट छाप पड़ेगी ।  आशा है भारतीय संस्कृति के उत्थान में यह पुस्तक एक मील का पत्थर साबित होगी।  इस काव्य संग्रह की भूमिका प्रसिद्ध कवि ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने लिखी है। 





पुस्तक का नाम - राम सागर  ( काव्य संग्रह )


लेखक -  महेश्वरी निगम


प्रकाशक - पुस्तकम , बैंगलोर 


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2017


कॉपीराइट - महेश्वरी निगम


पृष्ठ - 72 


मूल्य - 150/ INR  ( एक सौ पचास रुपए केवल )


Binding - पेपरबैक 

Size - 4.8 " x  7.5 "


ISBN - 978 -93-86933-01-0


आवरण छायाचित्र -  एम एल सीताराम 


पुस्तक के बारे में दिलचस्प जानकारी -


1 . कुल 126 छंद हैं जिनका योग 9 है । 

2. पृष्ठ 72 जिनका योग 9 है । 

3.  महेश्वरी निगम का जन्म दिन 18 जुलाई  जिसका योग 9 है । 

4.  इस पुस्तक का लोकार्पण 2017 के नवरात्रों में हुआ था , नवरात्र में 9 दिन होते हैं । 

5.   पुस्तकम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पहली पुस्तक है। 



प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


Saturday, July 17, 2021

पुस्तक परिचय - पक्षियों का कवि -सम्मेलन




कला के बिना मनुष्य अधूरा है।  आदिकाल से कलाकार , फ़नकार , साहित्यकार अपनी कला को समाज तक पहुँचाते रहे हैं , विशेषरूप से मुशायरे और कवि -सम्मेलनों का आयोजन अत्यंत लोकप्रिय रहा है।  मुग़ल काल में तो शमा वाले मुशायरे रात को ही हुआ करते थे। कवि -सम्मेलन और मुशायरे आज भी अक्सर रात को ही आयोजित किये जाते हैं लेकिन अब शमा की रौशनी नहीं होती। कवि -सम्मेलन और मुशायरों की महत्ता इसी बात से जानी जा सकती है कि भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर  दिल्ली के लाल क़िले में तीन दिन तक कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिसमे एक दिन कवि -सम्मेलन , दूसरे दिन मुशयरा और तीसरे दिन पंजाबी कवि - दरबार , जिसमे हज़ारों की संख्या में श्रोता जमा होते हैं।  मैंने भी अपने जीवन में अनेक कवि -सम्मेलन और मुशायरे सुने हैं , अपने रु - ब - रु किसी भी शाइर या कवि को सुनने का मज़ा ही अलग है।  आपने भी अपने जीवन में कवि -सम्मेलन और मुशायरे ज़रूर सुने होंगे लेकिन शायद पक्षियों का कवि -सम्मेलन कभी नहीं सुना होगा। आज जिस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ , उस पुस्तक का नाम है - पक्षियों का कवि -सम्मेलन  इस पुस्तक में " पक्षियों का कवि -सम्मेलन " के अतिरिक्त एक बाल एकांकी - " खेल खेल में " एवं  " पेड़ -सम्मेलन " नामक एक बाल कथा भी  है जिसमे पीपल , बरगद ,नीम ,बबूल और आम के पेड़ अपना काव्यात्मक परिचय देते हैं।  बाल साहित्य में इस पुस्तक का अपना एक मक़ाम है और न केवल बच्चें अपितु वयस्क पाठक भी इस पुस्तक का लुत्फ़ उठा सकते हैं। प्रसिद्ध लेखक  कीर्तिशेष बाबूराम पालीवाल का सरल लेखन ही इस कृति को महत्त्वपूर्ण बनाता है।  



पुस्तक का नाम - पक्षियों का कवि -सम्मेलन 


लेखक -  कीर्तिशेष बाबूराम पालीवाल 


प्रकाशक - नेशनल बुक ट्रस्ट , नई दिल्ली 


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2010 

चतुर्थ संस्करण - 2019 


कॉपीराइट - भारती पालीवाल 


पृष्ठ - 36


मूल्य - 50/ INR  ( पचास रुपए केवल )


Binding - पेपरबैक 

Size - 7.5 " x  9.5 "


ISBN - 978 -81-237-5814-5


चित्रांकन - अरूप गुप्ता 



प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


Friday, July 16, 2021

पुस्तक परिचय - छन्द : शिक्षा

 



छन्द : शिक्षा ,छन्द : शास्त्र पर आधारित  एक दुर्लभ पुस्तक है। छन्द : शास्त्र अपने आप में एक शास्त्र  ही है लेकिन इसका जन्म काव्यकला के उपरान्त ही होता है।  किसी भी  प्राचीन कवि ने छन्द : शास्त्र को अपने सामने रख कर काव्य की रचना नहीं करी होगी। हमारे प्राचीनतम वेदों में भी छन्द : शास्त्र को देखा जा सकता है।  किसी भी कवि के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि उसे छन्द : शास्त्र का ज्ञान  हो।  वास्तव  में एक युग ऐसा था जब किसी भी कवि के लिए छन्द : शास्त्र का ज्ञान अनिवार्य था , बिना इस ज्ञान के पूर्ण कवि बनना संभव नहीं था।  समय के साथ साथ साहित्य ने भी करवट ली और कवि ने ख़ुद को छंदों से आज़ाद किया और छंदों को भी मुक्ति दिलाई लेकिन इसमें कोई दोराह नहीं कि एक छंदबद्ध रचना कई कारणों से एक मुक्त छंद की रचना से अधिक प्रभावशाली हो सकती है। यही सोच कर  मैं छन्द : शिक्षा  पुस्तक का परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ और आशा करता हूँ कि कवियों के लिए यह पुस्तक अवश्य लाभकारी सिद्ध होगी। इस पुस्तक में छंदों की जानकारी अत्यंत विस्तार से दी गयी है। 


पुस्तक का नाम :  छन्द : शिक्षा  


लेखक - पंडित श्री परमेश्वरानन्द शर्मा शास्त्री 


प्रकाशक -      लाला ख़ज़ांचीराम जैन , मैनेजिंग प्रोपराइटर  , मेहरचंद लक्ष्मणदास , संस्कृत - हिंदी पुस्तक विक्रेता , सैद मिट्टा बाज़ार , लाहौर 


प्रकाशन वर्ष -  छठा संस्करण , 1946 


ISBN - NIL


Binding   -  संभवतः  सजिल्द 


Copyright - Not mentioned


मूल्य - संभवतः 5.50 INR


पृष्ठ - 86 


साइज - 4.5 "  x  7 " 




प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


Thursday, July 15, 2021

पुस्तक परिचय - क्षितिज की दहलीज़ पर

 



समाज में रहते हुए हमे अक्सर दूसरे लोगों से मिलना पड़ता है।  नये दोस्त ,सहपाठी , सहकर्मचारी , नये रिश्तेदार आदि।  पहली मुलाक़ात में हम सभी एक दूसरे को अपना परिचय देते हैं।  ज़िंदगी के सफ़र पर आगे बढ़ते बढ़ते बहुत से साथी पीछे छूट जाते हैं और नये साथी हमारी ज़िंदगी से जुड़ जाते हैं।  कुछ बिछड़े साथी कभी कभी हमारी यादों में आते हैं तो  कभी नहीं।  अँगरेज़ी में एक कहावत है कि   Out of sight is out of mind   यानी आँखों से ओझल हुए तो यादों से भी ओझल हुए या यूँ समझ लीजिए  कि जो दिखता है वही याद रहता है। 

 पुस्तकों की दुनिया भी हमारी ज़िंदगी की तरह ही होती हैं।  आज मीडिया और ऑनलाइन पुब्लिकेशन्स के दौर में वैसे भी पुस्तकों का  प्रकाशन काफ़ी कम हो गया है और पुस्तकों  के पाठक  भी पहले की तुलना में काफ़ी कम हो गए हैं , विशेषरूप से साहित्यिक पुस्तकों के पाठक । इसी विचार को मद्देनज़र रखते हुए मैंने सोचा कि पुरानी पुस्तकों से पाठकों को अवगत कराया जाये।  इसीलिए " पुस्तक परिचय " स्तम्भ  के अंतर्गत मैं पाठकों का परिचय साहित्य , कला व संस्कृति की पुस्तकों से कराता रहूँगा।  यह मात्र पुस्तक परिचय होगा जिसमे पुस्तक की संक्षिप्त जानकारी  दी जायेगी। "पुस्तक परिचय " स्तम्भ के अंतर्गत आज की पुस्तक है - क्षितिज की दहलीज़ पर । 


" क्षितिज की दहलीज़ पर  " एक साझा कविता संग्रह है जिसका सम्पादन अनिल वर्मा  'मीत ' एवं सुभाष प्रेमी ' सुमन ' ने किया है। इस संग्रह में दोनों सम्पादकों को मिला कर कुल 16 रचनाकारों की रचनाएँ सम्मिलित हैं।  पुस्तक की भूमिका डॉ रणजीत साहा ने लिखी  है एवं फ्लैप पर प्रसिद्ध कवि जगदीश चतुर्वेदी के शब्द पुष्प दर्ज़ हैं। पुस्तक का आवरण   हरिपाल त्यागी द्वारा चित्रित किया गया है।  पुस्तक " युवा ओज को  ,युवा सोच को ' समर्पित की गयी है। इस पुस्तक में सभी छंद मुक्त कविताएँ हैं। 

क्षितिज की दहलीज़ पर - साझा कविता संग्रह 

प्रकाशक - कलादृष्टि  प्रकाशन , दिल्ली 

बॉन्डिंग - सजिल्द 

पृष्ठ - 160

Size - Dimai - 14 " x 22 "

प्रथम संस्करण - 1998 

मूल्य - 150/

ISBN- NIL

Copyright  -अनिल वर्मा ' मीत '


पुस्तक में संकलित 16 रचनाकारों के नाम :


इन्दुकांत आंगिरस 

रमेश कुमाउनी 

प्रकाश टाटा 

राजीव शर्मा 

नरेंद्र  आहूजा 

वीना पांडेय 

शिवन लाल 

भविष्य कुमार सिन्हा 

सुदर्शन शर्मा 

रविंदर गोयल ' रवि '

दुलीचंद ' निशांत '

नमिता राकेश 

नीरजा बहल

रविंद्र शर्मा 'रवि '

सुभाष प्रेमी ' सुमन '

अनिल वर्मा ' मीत '



प्रस्तुति  -  इन्दुकांत आंगिरस 


हंगेरियन कविता Szilveszter का हिन्दी अनुवाद


Szilveszter  - नव वर्ष की पूर्व संध्या 


                  1 

हम दोनों ही गुज़रे साल के ज़ख़्मों में 

दूसरों की देह और ग़मों में जाएं पसर 

गूँथना ,टूटना ,फिर से गूँथना मेरा 

दुखते हैं ज़ख़्म अब तनी हुई रगों पर 

  


                     2

जैसे दूसरी दुनिया से आये इक आवाज़ 

मुबारक नया साल , कहे दूरभाषी साज़  

कही दूर से कोई बुलाए  करीब 

उठ जाये परदा बन जाए नसीब 



                      3

आओ , कभी न मिटने वाली खुशियाँ बटोरे 

आने  वाली सदियों  तक और  इस साल 

रूसी   कैसिनो    की परतों  में  लिपटा

दुखों को भगाता , आया झूमता नया साल 


A jó és  az Igaz - सत्य और सुंदरता 

 

 

किसी  अनंत में झिलमिलाते दो चेहरे 

सत्य और सुंदरता , कहो  कौन - सा तुम्हारा 

धार्मिक चादर पर रसोई चाकू की छाप

और सच का भगवान भरता गहरी साँस

 

 

एक चेहरे पर है दौलत की धमक 

दूसरी राह पर वही पुराना रहस्यमय

दिल को कभी न भाने वाला इक़रार 

पति मूँदता है पलक , पत्नी खोलती है पलक  



कवि - Tőzsér Árpád 

जन्म - 6th October' 1935


अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस