साक्षी
- यह पेड़ हमारे प्रेम का साक्षी है।
- हाँ , यह तो तुमने ठीक कहा।
- हम इस पर अपने नाम खोद देते हैं ।
- उससे क्या होगा ?
- अगर पेड़ खो गया तो हम उसे आसानी से ढूँढ लेंगे।
- पेड़ कहाँ खोयेगा , पेड़ ने तो यही रहना है।
- फ़िर भी , अगर खो गया तो।
- और अगर हम खो गए तो ......
बग़ीचों के पेड़ आज भी वहीं खड़े हैं और कर रहे हैं प्रतीक्षा , उन बिछड़े हुए प्रेमियों की।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
बहुत अच्छा
ReplyDeleteवाह, एक अलग सोच।
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