Saturday, June 5, 2021

लघु कथा - दो प्रेमियों की गुफ़्तगू

 


साक्षी 


- यह पेड़ हमारे प्रेम का साक्षी है। 


- हाँ , यह तो तुमने ठीक कहा। 


- हम इस पर अपने नाम खोद देते हैं । 


- उससे क्या होगा ?


- अगर पेड़ खो गया तो हम उसे आसानी से ढूँढ लेंगे। 


- पेड़ कहाँ खोयेगा , पेड़ ने तो यही रहना है। 


- फ़िर भी , अगर खो  गया तो।


- और अगर हम खो गए तो ......


बग़ीचों के पेड़ आज भी वहीं खड़े हैं और  कर रहे हैं प्रतीक्षा , उन बिछड़े हुए प्रेमियों की। 



लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 


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