A jó és az Igaz - सत्य और सुंदरता
किसी अनंत में झिलमिलाते दो चेहरे
सत्य और सुंदरता , कहो कौन - सा तुम्हारा
धार्मिक चादर पर रसोई चाकू की छाप
और सच का भगवान भरता गहरी साँस
एक चेहरे पर है दौलत की धमक
दूसरी राह पर वही पुराना रहस्यमय
दिल को कभी न भाने वाला इक़रार
पति मूँदता है पलक , पत्नी खोलती है पलक
कवि - Farnbauer Gábor
जन्म - 6th May ' 1957
अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस
वाह, सुंदर कविता का उत्तम अनुवाद।
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