ilyenkor - इस तरह
इस तरह अंतराल घूमता है तुम्हारे संग
जैसे किसी पुरानी फ़िल्म का हो अंत
रौशनी में यूँ दमकता सुलगता ज़ख़्म
जैसे ज़िंदा ज़ख़्म में उभरती रौशनी
धूल के साथ बढ़ते क़दम भरी - पूरी ज़मीं पर
लेकिन तुम्हारे सितमगर रोकते हैं तुम्हें बाहर
और तुम फ़िर वापिस लौटते हो लगातार
जब तक नहीं लगती तुम्हारी ज़िंदगी दाँव पर
अनूठे हो तुम , और अनूठे तुम्हारे निशानात
गर तुम्हारे शरीर सिकुड़े तो भी दाग़ रह जाये
और जो अभिवादन करता बादल छा जाये
अपने भरे -पूरे ज़ख़्म के साथ तू बदल जाये
इस तरह अंतराल घूमता है तुम्हारे संग
जैसे ज़ख़्म की चमड़ी से उतरता खुरंड
लेखक - Balla D. Károly
जन्म - 9th September , 1956 , Uzhhorod, Soviet Union
अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह, अति उत्तम।
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