Η βάφτιση", Λεξιλόγιο 👶
Λεξιλόγιο (Vocabulary) η βάφτιση/τα βαφτίσια: christening ο νονός: godfather η νονά: godmother ο βαφτισιμιός: godson η βαφτισιμιά: goddaughter το βαφτιστήρι: (neut.) godchildWednesday, April 9, 2025
Monday, April 7, 2025
एक करोड़
एक करोड़
आलिशान बंगले के ड्राइंग रूम में मौत का सा सन्नाटा पसरा हुआ था। शिवनारायण और उनकी पत्नी गहरी सोच में डूबे थे। उनका पुत्र मनोज
बार बार अपना पसीना पौंछ रहा था। उसकी शादी को अभी दो महीने ही हुए थे। शुरू शुरू में सब ठीक था लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसकी पत्नी रोमा ने घर में तूफ़ान उठा रखा था। रोमा अपना ब्यूटी पार्लर चैन खोलना चाहती थी और उसके लिए उसने अपने पति से १ करोड़ रूपये की डिमांड कर दी थी।रोमा ने अपने पति और सास ससुर को अल्टीमेटम दे दिया था कि अगर उसे २४ घंटे में १ करोड़ रूपये नहीं मिले तो वह अपने ससुर पर बलात्कार और दहेज़ का केस लगाने में बिलकुल नहीं हिचकेगी। इसीलिए घर में मातम छाया था। मनोज मायूसी से अपने कमरे में घुसने लगा तो उसे रोमा की आवाज़ सुनाई दी। रोमा अपनी किसी सहेली से बाते कर रही थी।
- " तू देखती जा अब मैं कैसे इनको बन्दर नाच नचाती हूँ , इनको नाको चने न चबवा दिए तो मेरा नाम रोमा नहीं। अगर मुझे अगले २४ घंटे में मेरी रकम नहीं मिली तो फिर देखना " रोमा ने बिफ़रते हुए अपनी सहेली से कहा।
- " आख़िर तू करेगी क्या ? " सहेली ने जिज्ञासा से पूछा।
- " दहेज़ , नारी उत्पीड़न और बलात्कार का ऐसा केस डालूँगी कि इनके चूले हिल जाएँगी "। रोमा ग़ुस्से से बोली थी।
- " अपने ही पति पर बलात्कार का केस ? पगला गयी है क्या ? कोर्ट नहीं मानेगा ....." सहेली ने झिझकते हुए कहा।
- " अरे , बलात्कार का केस पति पर नहीं अपने ससुर पे डालूँगी। पूरे समाज में इनका मुँह काला करुँगी। "
- " लेकिन तेरे ससुर ने ऐसा कुछ किया क्या ? "सहेली ने पूछा
- " अरे वो बुड्ढा क्या करेगा , उसके बस का भी कुछ नहीं है लेकिन क़ानून वही मानेगा जो मैं कहूँगी " रोमा ने दृढ़ता से कहा था।
उधर ड्राइंग रूम में शिवनारायण ख़ामोशी से अपनी नई नवेली संस्कारी बहू के नाम १ करोड़ का चेक काट रहे थे।
Saturday, April 5, 2025
Ghazal Lesson _ RAV
[22:26, 04/04/2025] Ram Awadh Vishvkarma 2: जे ए के आर्ट एण्ड कल्चर फ़ाउन्डेशन की जानिब से अगली नशिस्त के लिए बज़्मे नौ सुख़न के लिए तरही मिसरा शायर साक़ी फ़ारुक़ी साहब की ग़ज़ल का मिसरा दिया जा रहा है
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मिसरा ए तरही--> 'ऐ रौशनी-फ़रोश अंधेरा न कर अभी
वज़्न------------> 221 2121 1221 212
मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
अर्कान------> मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
क़ाफ़िया--- अंधेरा दरिया किनारा सवेरा आदि.....
रदीफ़--------> न कर अभी
फ़िल्मी गीत
1-हम ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए
2-शिकवा नहीं किसी से किसी से गिला नही
3-उनके ख्याल आये तो आते चले गये |
4- मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी-कभी
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तो दोस्तों शुरू हो जाइये बेहतरीन अश'आर कहने के लिए
निवेदक
जे. ए. के. आर्ट एण्ड कल्चर फ़ाउन्डेशन
[22:49, 04/04/2025] Ram Awadh Vishvkarma 2: साथियों
मैं आपको एक तरही मिसरा दे रहा हूँ इस पर लिखने की कोशिश करिये। जे ए के द्वारा दिया गया मिसरा हो सकता है आपको सूट न करे। तो मिसरा है
'भरी दोपहर में अँधेरा हुआ'
काफिया आ की मात्रा वाला है
जैसे झमेला ,सबेरा, बसेरा, धेला, फेरा, डेरा, तेरा, मेरा, अकेला, खेला, चेला, करेला ,आदि।
रदीफ- हुआ
बहर है-
फऊलुन फऊलुन फऊलुन
फ 'अल
122 122 122 12
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अँधेरा हुआ है भरी दोपहर में'
पहले दिये मिसरे को ऐसा भी कर के ग़ज़ल कही जा सकती है।इसका काफिया होगा
डर, घर ,पर ,सर, उधर, सफर, शजर , जहर, आदि
रदीफ - में
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बहर है
फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन
122 122 122 122
बह्रे मुतकारिब मुसम्मन सालिम
यह सालिम बहर मतलब शुद्ध बहर है जिसमें एक ही रुक्न
फऊलुन का प्रयोग किया गया है।इसमें कोई दूसरा रुक्न नहीं मिलाया गया है। फऊलुन मुतकारिब बहर का रुक्न है ।यह चूँकि यह चार बार मिसरे में आया है इसलिए यह मुसम्मन कहलायेगा। इस प्रकार इसका नाम हुआ
बहरे मुतकारिब मुसम्मन सालिम
Friday, April 4, 2025
Ghazal Lesson - RAV
मित्रों नमस्कार
रदीफ काफिये के साथ चिपकी होनी चाहिये। मिसरे में अगर रदीफ अलग थलग लगे मतलब ऐसा लगे कि रदीफ जबरदस्ती चश्पा किया गया है तो रदीफ का वहां कोई औचित्य नहीं। रदीफ सार्थक है या नहीं इसका सरल पहचान है कि रदीफ को हटाने के बाद यदि शेष बचा अंश अपने आप में वाक्य पूर्ण हो रदीफ बेकार जबरदस्ती वहां फिट किया गया लगता है। उदाहरण के लिये -
आप जो हमसे दूर गये
दिल से हम मजबूर गये
आप न थे तो क्या थे हम
आपसे मिल मशहूर गये
स्पष्ट है रदीफ काफिये का प्रयोग नियमानुसार किया गया है परन्तु पहली पंक्ति में ही रदीफ चश्पा हुई है और बाकी में पंक्ति में नहीं। आप खुद सोचिए
मजबूर गये, मशहूर गये में दोनों में मतलब मजबूर के साथ गये जोड़ने का और मशहूर के साथ गये जोड़ने का क्या मतलब निकलता है। क्या आपको नहीं लगता कि यह गये शब्द को जबरदस्ती ठूसा गया है।
इसको ऐसा करके देखें
आप जो हमसे दूर हुये
दिल से हम मजबूर हुये
आप न थे तो क्या थे हम
आपसे मिल मशहूर हुये
और दोनों में फर्क महसूस करें।
Thursday, April 3, 2025
Tuesday, April 1, 2025
शहर और जंगल - प्लेटफॉर्म
शहर और जंगल - प्लेटफॉर्म
वह जो प्लेटफॉर्म के अँधेरे कोने में
बैठी है थकी हारी उदास
हाँ , मैं जानता हूँ
उस अबला का इतिहास
जन्मभूमि ही जिसकी हो प्लेटफॉर्म
क्या बताऊँ उस अबला का नाम
जाने कौन है बाप उसका
जाने कौन महतारी है
पर यक़ीनन
वह हिन्दोस्तान की सम्माननीय नारी है।
प्लेटफॉर्म ही था उसका परिवार
था वही उसका घर
भीख माँग कर करती थी गुज़र
फाँका करती थी प्लेटफॉर्म की धूल
उसने कब जाना पाठशाला स्कूल
बीत गया ऐसे ही बचपन उसका
रीत गया ऐसे ही बचपन उसका
एक रात अचानक
भीख मानता बचपन जवान हो गया
चंद लोगों के मनोरंजन का सामान हो गया
बाल सँवारे काजल डाले
जब चलती थी इठला कर वह
लगा होठों पर लाली
बजती थी कहीं सीटी , बजती थी कही ताली
अल्हड बदमस्त जवानी थी उसकी
फैली दूर तक कहानी थी उसकी
छोड़ दिया था माँगना उसने भीख
पैसा कमाने की कला गयी थी सीख