Sunday, October 1, 2023

फ़्लैश बैक/3 - मामा के जूते

मामा के जूते 


 मेरे मामा आज भी लगते स्मार्ट 

रहे सदा ज़िंदगी में टिप - टॉप 

घंटो करते अपने कपडे ख़ुद प्रेस 

उनका मुँह चाँद सा  चमकता 

मोती सा उनका रूप दमकता 

होंठों पे रहे बिखरती स्नेहिल मुस्कान

ऊँचा बहुत उनका ख़ानदान    

सिखाते सदा मुझे दुनियादारी 

सुनता था मैं उनकी बाते सारी 

पर कभी कभी जब होता था उनसे नाराज़ 

पलंग के नीचे घुस कर 

उनके चमकीले जूते देता था काट 

अगले दिन पड़ती थी बहुत डाँट 

और मामा ख़रीद लाते थे 

एक जोड़ी नए जूते।  


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