Sunday, October 1, 2023

फ़्लैश बैक/3 - सप्रू हाउस

सप्रू हाउस 


बाराखम्बा रोड , नई दिल्ली से शायद है मेरा 

पिछले जन्म का नाता 

इसी रोड पर मैं बरसो रहा आता - जाता 

जवानी में स्टेट्समैन अख़बार का दफ़्तर

और बचपन में सप्रू हाउस के चक्कर 

उन दिनों दिखाई जाती थी 

सप्रू हाउस में बाल - फ़िल्में 

होता था दिन इतवार का 

पिता जी के कुछ प्यार का 

अक्सर ले जाते थे मुझे फ़िल्म दिखाने

अब तो गुज़र गए ज़माने 

नहीं देखी कोई बाल फ़िल्म

 तब इंटरनेट और यूट्यूब का नहीं था चलन

फिर भी बहुत खिला खिला था बचपन। 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस  

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