És mondd csak , ha már
हाँ , कह डालो , अगर पहले ही
खड़ा हूँ रौशनी में अपने असबाब के साथ
हाँ , कह डालो , मेरे परिचित ,मेरे यार
क्या वाकई यह पेरिस है ?
हाइकु
कुछ भी नहीं रहेगा
कोई नहीं रहेगा
बस जो है..... है
कवि - Farnbauer Gábor
जन्म - 6th May ' 1957
अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस
यह अनुवाद मूल कविता जैसा ही प्रतीत होता है।
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