Friday, February 23, 2024

फ़्लैश बैक/3 - गुड्डू भाई

 गुड्डू भाई 


मेरा  फुफेरा  भाई , गुड्डू भाई 

याद आज फिर  उसकी आई 

बचपन में अक्सर गर्मियों की छुट्टियों में 

जाता था जब बड़ी बुआ के घर 

ख़ुशियों को मेरी लग जाते थे पर 

कभी मेला , कभी सिनेमा ,कभी नुमाईश 

होती थी हर रोज़ नई फरमाइश 

कभी जाते थे खेतो की सैर करने 

मिल कर नहाते कभी बम्बों में 

होता था गुड्डू भाई का साथ 

लेता था सर माथे पे मेरी हर बात 

यूँ  रखता था मेरा ख़्याल 

ख़ुद अपना भूल जाता था हाल  

एक दिन बात ही बात में 

हो गयी मुक्का लात मुलाक़ात  में 

मेरे हाथ पर चला दिया ब्लेड उसने 

हाथ से फिसल जांघ पे किया घाव 

पड़ी  थी उस दिन गुड्डू भाई को डाँट बहुत 

सहमा सहमा रहा उस दिन भाई बहुत 

अगले दिन फिर थाम कर मेरा हाथ 

निकल पड़ी थी हमार बात 

हाथ - पैर के ज़ख़्म तो भर गए थे कुछ दिनों में 

लेकिन वो निशान कभी गए ही नहीं 

गुड्डू भाई की यादों की मानिंद 

आज भी हैं ताज़ा , बहुत ताज़ा।   


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