लघु कथा - तोता - मैना और व्हाट्सप्प
एक बार एक तोते को एक मैना से प्रेम हो गया। तोता रसिक कवि था सो मैना के प्रेम में रोज़ नयी नयी प्रेम कवितायें लिखता और मैना के दिल को लुभाता। मैना के लिए प्रेम का आसमान नया नया था लेकिन ज़मीन जानी पहचानी थी। तोता ,मैना से मिलने के लिए बेक़रार था , आखिर एक दिन प्रेम गली में उसकी मुलाक़ात मैना से हो गयी।
हमे आप से कुछ बात करनी है - तोते ने शर्माते हुए कहा।
- हाँ , हाँ , कहिये ?
- आप बहुत सुन्दर हैं , मेरी कविताओं से भी सुन्दर।
- जी , यह तो मैं जानती हूँ।
- हमे आप से और बात करनी हैं।
- जी कहिये ?
- आप बहुत शोख़ हैं।
- जी , शुक्रिया , पर यह भी मैं जानती हूँ।
- नहीं , नहीं , हमे आप से कुछ और बात कहनी है।
- जी बताये
- वो... वो बात हम यहाँ नहीं कह सकते, कही और चले ?
- कहाँ , चाँद के पार ?
- नहीं ,चाँद के पार नहीं , वट्सप पर चलते हैं ।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
Wow 😄😄kaya idea hai☺️☺️
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