Friday, October 23, 2020

लघु कथा - आश्चर्य



आश्चर्य 


धरती पर एक लम्बा वक़्त गुज़ार कर जब नारद मुनि वापिस ब्रह्मलोक  में लौटे तो प्रभु ने उनसे पूछा -


- कहो , नारद मुनि , इस बार आपकी धरती यात्रा कैसी रही ?


-  अति उत्तम ,प्रभु  , इस बार तो मुझे हास्य  कवियों से मिलने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ 

    और ऐसे ऐसे कवियों को सुना कि मन आश्चर्य से भर गया। 


- अच्छा , तो हमे भी अपने श्रेष्टतर  तीन आश्चर्यों  से अवगत कराये। 


- जी प्रभु 


पहला आश्चर्य - एक हास्य कवि पति द्वारा अपनी पत्नी की प्रशंसा में लिखा प्रेम गीत। 


दूसरा आश्चर्य  -हास्य  कवि पति के मुख से प्रेम गीत सुनकर पत्नी का लजा जाना।  


तीसरा आश्चर्य पति-पत्नी के इस प्रेम को देखकर शेष कवियों द्वारा उनकी प्रशंसा करना। 


अद्भुत,अद्भुत  निश्चय ही तुम्हारे तीनों आश्चर्य किसी आश्चर्य से कम नहीं- प्रभु ने मुस्कराते हुए नारद मुनि से कहा।


नारद मुनि , हरी ॐ ,हरी ॐ कहते हुए आगे बढ़ गए और सबकी  निगाहें ' हरी ॐ ' की ओर उठ गयीं । 

 



लेखक - इन्दुकांत  आंगिरस  

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