आश्चर्य
धरती पर एक लम्बा वक़्त गुज़ार कर जब नारद मुनि वापिस ब्रह्मलोक में लौटे तो प्रभु ने उनसे पूछा -
- कहो , नारद मुनि , इस बार आपकी धरती यात्रा कैसी रही ?
- अति उत्तम ,प्रभु , इस बार तो मुझे हास्य कवियों से मिलने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ
और ऐसे ऐसे कवियों को सुना कि मन आश्चर्य से भर गया।
- अच्छा , तो हमे भी अपने श्रेष्टतर तीन आश्चर्यों से अवगत कराये।
- जी प्रभु
पहला आश्चर्य - एक हास्य कवि पति द्वारा अपनी पत्नी की प्रशंसा में लिखा प्रेम गीत।
दूसरा आश्चर्य -हास्य कवि पति के मुख से प्रेम गीत सुनकर पत्नी का लजा जाना।
तीसरा आश्चर्य - पति-पत्नी के इस प्रेम को देखकर शेष कवियों द्वारा उनकी प्रशंसा करना।
अद्भुत,अद्भुत निश्चय ही तुम्हारे तीनों आश्चर्य किसी आश्चर्य से कम नहीं- प्रभु ने मुस्कराते हुए नारद मुनि से कहा।
नारद मुनि , हरी ॐ ,हरी ॐ कहते हुए आगे बढ़ गए और सबकी निगाहें ' हरी ॐ ' की ओर उठ गयीं ।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
शानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुंदर
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