सुनो
मैं बस इतना चाहती हूँ
कि जब मैं तुम्हारा हाथ थामूँ,
तो दुनिया मुझे रोक न सके।
इतनी सी आज़ादी मिले
कि तुम्हारे कंधे पर सिर रख देने भर से
किसी की पेशानी पर लकीरें न पड़ें,
ना हमारे प्रेम को कसौटियों पर तौला जाए।
मेरी चाहत बहुत साधारण है,
मैं कोई नियम नहीं तोड़ना चाहती,
बस इतना चाहती हूँ कि तुम्हें गले लगाते वक़्त
मुझे समाज से नहीं, सिर्फ तुम्हारी धड़कनों से
उत्तर मिले।
क्योंकि प्यार अपराध नहीं,
और मैं उसे छुपाकर नहीं —
सम्मान के साथ जीना चाहती हूँ।❤️❣️❤️
No comments:
Post a Comment