अभी तक पधारे न दिलदार साजन
किसे मैं दिखाऊँ ये भीगा-सा तन- मन फ़िज़ा में ये फैली है ख़ुशबू ग़ज़ब की बहुत बढ़ गई है मेरे दिल की धड़कन उन्हें क्या पता रात बीती है कैसे वफ़ा ने छला है ये कैसा है अर्पण ? दुआ में कोई तो कमी रह गई है ये कैसा समय है ये कैसी है तड़पन निगाहों में दिखती तमन्ना मिलन की महब्बत हमारी बनी एक दर्पण कर्नल तिलक राज(से.नि.) 21अक्टूबर,2025*
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अभी तक पधारे न दिलदार साजन किसे मैं दिखाऊँ ये भीगा-सा तन- मन फ़िज़ा में ये फैली है ख़ुशबू ग़ज़ब की बहुत बढ़ गई है मेरे दिल की धड़कन उन्हें क्या पता रात बीती है कैसे वफ़ा ने छला है ये कैसा है अर्पण ? दुआ में कोई तो कमी रह गई है ये कैसा समय है ये कैसी है तड़पन निगाहों में दिखती तमन्ना मिलन की महब्बत हमारी बनी एक दर्पण कर्नल तिलक राज(से.नि.) 21अक्टूबर,2025*
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