Thursday, January 13, 2022

घरेलू नुस्ख़ें शाइरी में

 

पिछले दिनों एक पुराना काग़ज़ मिल गया जिसमे चंद बीमारियों के घरेलू नुस्ख़ें   शाइरी में कहे गए हैं।  शाइर का नाम नहीं मालूम लेकिन कोरोना की इस तीसरी लहर के आगमन पर मन हुआ आप सभी से ये साझा कर लूँ।  आयुर्वेद में बहुत से घरेलू  नुस्खे मिल जाते हैं और चंद लोग उनका इस्तेमाल  भी करते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं कि इन नुस्ख़ों से सभी को लाभ मिल जाए।  आपका मन हो तो इनको आज़माये अन्यथा बस शाइरी का लुत्फ़  उठायें। लीजिये प्रस्तुत हैं शाइरी में नुस्ख़ें -


जहाँ तक काम चलता हो ग़िज़ा से 

वहाँ तक चाहिए   बचना दवा  से 


अगर ख़ून कम बने बलगम   ज़ियादा 

तो खाये गाजर ,चने , शलगम ज़ियादा 


जिगर के बल   पर है   इंसान जीता 

अगर ज़हफ़ जिगर है तो खा पपीता 


जिगर में हो अगर गर्मी का अहसास 

मुरब्बबा आंवला खा या   अन्नानास


अगर हो जाता ही माएदा में गरानी 

तो पी लें सौंफ़ या अदरक का पानी 


थकन से हो अगर अलजात ढीलें

तो फ़ौरन दूध गरमा - गरम पी लें 


जो दुखता हो गला नज़ले के मारे 

तो कर नमकीन   पानी के गरारे 


अगर हो दर्द से  दाँतों  के   बैकुल

तो ऊँगली से मसूढ़ों पर नमक मल 


जो ताकत में कमी होती हो महसूस 

तो मिश्री की डली  मुल्तान की चूस


शिफ़ा चाहिए अगर खाँसी से जल्दी  

तो पी ले दूध में    थोड़ी सी   हल्दी 


अगर कानो में  तकलीफ़    होए

तो सरसो का तेल फाये से निचोड़ 


अगर आँखों में पड़ जाते हो जाले

तो दक्खनी  मिर्च घी के साथ खा ले 


दमा में ये ग़िज़ा   बेशक   हैं अच्छी 

खटाई  छोड़ , खा दरिया की मछली 


अगर तुझको लगे जाड़े में सर्दी 

तो इस्तेमाल कर अंडे की जर्दी 


जो बदहजमी में तू चाहे अफ़ाफ़ा

तो दो -एक वक़्त कर तू  फ़ाका  




प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 



NOTE : मालूम नहीं उपरोक्त नुस्ख़ें किस शाइर या  हक़ीम ने लिखे हैं।  शाइरी का लुत्फ़ ज़रूर उठायें लेकिन नुस्ख़ें अपनी ज़िम्मेदारी पे आज़माये। 

Sunday, January 2, 2022

पुस्तक परिचय - राम - चर्चा

 







मुंशी प्रेमचंद हिन्दी साहित्य में ' उपन्यास सम्राट ' के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने 350 से अधिक कहानियाँ लिखी और अनेक उपन्यासों की रचना करी।  उनका अधिकांश साहित्य न सिर्फ़ भारतीय  अपितु विश्व की अनेक  भाषाओं में अनूदित हो चुका हैं। यह तो सर्वविदित है कि उन्होंने सरस्वती प्रेस की स्थापना करी और उसे अपने ख़ून - पसीने से सींचा।  अधिकांश महान साहित्यकारों ने बाल साहित्य की भी रचना करी हैं। आज प्रेमचंद द्वारा रचित  दुर्लभ पुस्तक  ' राम -  चर्चा ' का परिचय प्रस्तुत है। बच्चों के लिए रचित ' राम - चर्चा ' पुस्तक की भाषा अत्यंत सरल और सहज है और इसका फॉण्ट साइज भी बड़ा है जिससे बच्चें इसे सुलभता से पढ़ सकें।  इस पुस्तक की रचना के माध्यम से प्रेमचंद ने रामायण का परिचय बच्चों से कराया है जिससे बच्चें भारतीय संस्कृति से परिचित हो सकें और उन संस्कारों को अपने जीवन में ढाल सकें। पुस्तक सात खण्डों में विभाजित हैं - बाल - काण्ड , अयोध्या - काण्ड , वन - काण्ड , किष्किंधा - काण्ड , सुन्दर - काण्ड , लंका - काण्ड और उत्तर - काण्ड ।  

21 वी सदी में जबकि संसार बहुत सिकुड़ चुका है और भारत पाश्चात्य संस्कृति की धारा में बहता  जा रहा है , यह पुस्तक आज भी भारतीय बच्चों को भारतीय संस्कृति से अवगत कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं। यक़ीनन अगर अभिभावक यह चाहते हो कि उनके बच्चें भी भारतीय संस्कृति से परिचित हो तो इस पुस्तक को अपने बच्चों के लिए उपलब्ध कराएँ।  आज प्रिंटिंग की दुनिया में एक से बढ़ कर एक नवीनतम मशीनें उपलब्ध हैं लेकिन प्रेमचंद  जैसे लेखक अब नहीं। उनके पुत्र श्रीपत राय ने इस पुस्तक का प्रथम संस्करण ,  प्रेमचंद  के निधन के दो वर्ष बाद 1938 में  प्रकाशित किया।  साहित्य के प्रति प्रेमचंद को अमूल्य बलिदान एवं त्याग का ऋण, हिन्दी साहित्य कभी नहीं उतार पायेगा।  हो सकता है आज इस पुस्तक का कोई ओफ़्सेट प्रिंटिंग का संस्करण उपलब्ध हो लेकिन इस संस्करण को पढ़ते हुए पाठक प्रेमचंद की आत्मा को महसूस कर सकता है , इसीलिए ' राम - चर्चा ' पुस्तक का  यह संस्करण  अत्यंत दुर्लभ है। अफ़सोस कि ऐसी पुस्तक बच्चों के पाठ्यक्रम  में शामिल नहीं करी  जाती। भाषा की सरलता एवं सहजता की बानगी के तौर   पुस्तक का  प्रथम पृष्ठ  देखें -






पुस्तक का नाम -    राम - चर्चा 

( श्री रामचंद्र जी की अमर कहानी )


 लेखक - प्रेमचंद 


भाषा - हिन्दी


Copyright - सरस्वती प्रेस , बनारस , 1938 


प्रकाशक / मुद्रक - श्रीपत राय , सरस्वती प्रेस , बनारस कैंट 


प्रकाशन वर्ष - नया सस्ता  संस्करण ,1941


पृष्ठ - 198


मूल्य - 1/ INR  ( एक  रुपया      केवल )


Binding -  पेपरबैक 


Size - 6" x 8"


ISBN - Not Mentioned






लेखक - धनपतराय श्रीवास्तव 


उपनाम - प्रेमचंद 


जन्म -  31st July   , 1880 , Village Lamhai   , Varanasi 


निधन - 8 October  ,1936 . Varanasi 


                                                                                                  


                                                                                             प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


NOTE :प्रेमचंद और उनके साहित्य के बारे में आधी जानकारी के लिए उनका विकी पेज देखें।