Friday, September 17, 2021

पुस्तक परिचय - महाप्राण निराला







पिछले दिनों पिता जी की पुरानी पुस्तकों में  गंगाप्रसाद पाण्डेय द्वारा  रचित दुर्लभ पुस्तक - ' महाप्राण निराला '  की दुर्लभ प्रति  मिली तो मन हुआ कि आप सभी से साझा कर लूँ।  वैसे तो इस दुर्लभ पुस्तक का नवीन संस्करण ' रज़ा फाउंडेशन ' और राजकमल प्रकाशन द्वारा उपलब्ध कराया जा चुका है लेकिन इसका प्रथम संस्करण जिसकी सिर्फ़ १००० प्रतिया छपी थी ,  दुर्लभ है। इसकी भूमिका  महादेवी वर्मा ने -  ' जो रेखाएँ न कह सकेंगी ' शीर्षक  से लिखी  थी।  उनके द्वारा रेखांकित निराला का चित्र भी भूमिका के साथ ही छपा  है ।  इस पुस्तक ने यह बात निर्धारित कर दी थी कि किसी भी साहित्यकार के साहित्य का सही मूल्यांकन करने के लिए उस साहित्यकार के जीवन का अध्ययन भी ज़रूरी है।

निराला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अध्ययन के लिए यह पुस्तक अनिवार्य है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जितने बड़े कवि थे उससे भी बड़े इंसान थे। एक भिखारी के बच्चों को देख कर उन्होंने लिखा -


ठहरो अहो मेरे हृदय में है अमृत ; मैं सींच दूँगा

अभिमन्यु जैसे हो सकोगे तुम 

तुम्हारे दुःख मैं अपने हृदय में खींच लूँगा। 


निराला की निम्न कालजयी पंक्तियाँ देखें -


मुदें पलक , केवल देखें उर में -

सुनें सब कथा परिमल सुर में ,

जो चाहें , कहें वे कहें। 

जैसे हम हैं वैसे ही रहें !



 पुस्तक का नाम - महाप्राण निराला

लेखक -  गंगाप्रसाद पाण्डेय

प्रकाशक - साहित्यकार संसद , प्रयाग 


प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण ,1949 , संवत -२००६ 


कॉपीराइट - Not mentioned 

पृष्ठ - 384

मूल्य -10/ INR  ( दस   रुपए केवल )


Binding - Hardbound

Size - डिमाई 4.8 " x 7.5 "


ISBN - Not mentioned 





प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस 


3 comments:

  1. वाकई दुर्लभ पुस्तक। 🙏

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  2. कृपया इस दुर्लभ पुस्तक का स्कैन साझा करें। बड़ी कृपा होगी।

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  3. पूरी पुस्तक का स्कैन संभव नहीं अगर आपको ज़ेरोक्स चाहिए यो मुझे फोन करें -9900297891

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